सायना नेहवाल : भारत में बैडमिंटन की पहचान

शनिवार, 28 अप्रैल 2012 (16:37 IST)
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हर युवा की तरह उभरती हुई बैडमिंटन खि‍लाड़ी सायना नेहवाल ने भी कुछ सपने देखे और आज वे उन्‍हें हकीकत में बदल रही हैं। 17 मार्च 1990 को हि‍सार, हरि‍याणा में जन्‍मी सायना आज बैडमिंटन की नई सनसनी हैं। 8 साल की उम्र में बैडमिंटन रैकेट थाम चुकी सायना आज बैडमिंटन की दुनिया में अपना नाम रोशन कर चुकी हैं।

सायना ने शुरुआती प्रशि‍क्षण हैदराबाद के लाल बहादुर स्‍टेडि‍यम में कोच नानी प्रसाद से प्राप्त कि‍या। माता-पि‍ता दोनो के बैडमिंटन खि‍लाड़ी होने के कारण सायना का बैडमिंटन की ओर रुझान शुरु से ही था। पि‍ता हरवीर सिंह ने बेटी की रुचि‍ को देखते हुए उसे पुरा सहयोग और प्रोत्‍साहन दि‍या।

सायना अब तक कई बड़ी उपलब्धियां अपने नाम कर चुकी हैं। वे विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियन रह चुकी हैं। ओलिम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन के क्वार्टरफाइनल तक पहुँचने वाली वे देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं। उन्‍होंने 2006 में एशि‍यन सैटलाइट चैंपि‍यनशि‍प भी जीती है।

उन्होंने 2009 में इंडोनेशिया ओपन जीतते हुए सुपर सीरिज बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया, यह उपलब्धि उनसे पहले किसी अन्य भारतीय महिला को हासिल नहीं हुई। भारत में यूं तो खेलों में क्रिकेटरों की पूछपरक ज्यादा है, लेकिन सायना आईपीएल की डेक्कन चार्जर्स टीम की ब्रांड एम्बेसेडर रह चुकी हैं।

सायना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उनके कारण देश में बैडमिंटन का खेल लोकप्रियता पा रहा है। इस लड़की को देखकर कई माता-पिता अपनी बेटियों को भी भविष्य की साइना बनाने का सपना देखने लगे हैं। सायना उन तमाम लड़कियों के लिए भी एक आदर्श बनकर उभरी हैं जो कुछ कर दिखाने का जज्बा रखती हैं और आगे बढ़ना चाहती हैं।

महिला सशक्तिकरण में उनका अप्रत्यक्ष योगदान है। मीडिया की चकाचौध और बयानबाजी से दूर रहते हुए देश में महिलाओं के विकास में सायना का यह योगदान अतुलनीय और अनुकरणीय है। उम्मीद है कि सायना का यह सफर सफलता की और भी इबारते लिखेगा और उन्हें देखकर देश की कई लड़कियां भी आगे आएंगी।

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