जानिए क्या होते हैं दूतावास, समझिए कौन होते हैं राजदूत और क्या होती है उनकी भूमिका

WD Feature Desk

सोमवार, 19 मई 2025 (16:40 IST)
role of embassy and ambassador: जब हम किसी विदेशी घटनाक्रम के बारे में सुनते हैं, तो अक्सर "दूतावास" या "राजदूत" जैसे शब्द हमारे कानों से टकराते हैं। ये शब्द हमारे लिए कितने भी सामान्य क्यों न लगें, ये अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दुनिया में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आखिर ये दूतावास क्या होते हैं? इनका उद्देश्य क्या है? और राजदूत कौन होते हैं, उनका काम क्या होता है? आइए, समझते हैं।

दूतावास क्या होते हैं? (embassy) 
दूतावास दो शब्दों दूतावास दूत और आवास से मिलकर बना है। यह किसी एक देश द्वारा दूसरे संप्रभु (Sovereign) देश में स्थापित किया गया अपना मुख्य कार्यालय होता है। यह एक ऐसा "घर" होता है जो मेजबान देश की राजधानी में स्थित होता है और जहाँ से संबंधित देश अपनी विदेश नीति का संचालन करता है। उदाहरण के लिए, नई दिल्ली में संयुक्त राज्य अमेरिका का दूतावास, भारत की राजधानी में अमेरिकी सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। इसी तरह, वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास, अमेरिका में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।

दूतावासों का उद्देश्य क्या होता है?
दूतावासों का मुख्य उद्देश्य दो देशों के बीच संबंधों को सुचारू रूप से चलाना और बढ़ावा देना है। इनके कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं: 
 
राजदूत कौन होते हैं और वे क्या काम करते हैं? (ambassador)
राजदूत (Ambassador) अपने देश के सर्वोच्च राजनयिक प्रतिनिधि होते हैं, जिन्हें किसी दूसरे संप्रभु देश में भेजा जाता है। ये सीधे अपने देश के राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री) के व्यक्तिगत प्रतिनिधि होते हैं और उनके नाम पर कार्य करते हैं। राजदूतों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विशेष राजनयिक प्रतिरक्षा (Diplomatic Immunity) प्राप्त होती है, जिसका अर्थ है कि उन्हें मेजबान देश के कानूनों के तहत गिरफ्तार या अभियोजित नहीं किया जा सकता।राजदूत का पद बेहद प्रतिष्ठित और जिम्मेदारी भरा होता है। वे अपने दूतावास के मुखिया होते हैं और विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य करते हैं:
संक्षेप में, दूतावास और राजदूत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के वे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं जो दुनिया को जोड़ने, देशों के बीच समझ विकसित करने और वैश्विक शांति व सहयोग को बढ़ावा देने में अथक प्रयास करते हैं। वे न केवल अपने देश के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों और विचारों के बीच पुल का काम भी करते हैं।

 

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