हालांकि चर्च ने स्पष्ट किया था कि वह किसी पार्टी या प्रत्याशी की पैरवी नहीं करेगा। लेकिन पिछले वर्ष गोवा के आर्कबिशप दमन रेव फिलिप नेरी फेराओ ने क्रिसमस के एक पारंपरिक भोज के दौरान अपने संबोधन में कहा था कि हम अपने वफादार अनुयायियों को दिशा-निर्देश देकर उन्हें अपने नागरिक अधिकारों का पालन करने को कहेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि भारत में चर्च पर धर्मांतरण कराने के आरोप लग रहे हैं, हमारे धर्मस्थलों पर हमले हो रहे हैं, उन्हें लूटा व जलाया जा रहा है लेकिन ऐसे अपराध करने वाले अक्सर आजाद घूम रहे हैं। यह ऐसा ही है, जैसे महज 3 फीसद लोग पूरे देश के लिए खतरा बन रहे हैं। अवैध खनन के एक मामले पर उन्होंने कहा कि चर्च इस जमीन का ट्रस्टी है।
चर्च के इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा और गोवा की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर आदि भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि जिस तरह से भारत में अब तक मदरसों और मस्जिदों से मुसलमानों के लिए वोट किसे देना है तय किया जाता था, पहली बार ऐसी कोई स्थिति भारत के किसी गिरिजाघर से देखने को मिलेगी।