Gudi Padwa: हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार भारतीय संस्कृति में विक्रम संवत् का बहुत महत्व है। तथा भारतीय कैलेंडर के हिसाब से चैत्र का महीना वर्ष का प्रथम महीना है। अनादिकाल से इस दिन को हिन्दू नववर्ष के रूप में जाना जाता है। जिसे नव् संवत्सर भी कहा जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्रि घट स्थापना, ध्वजारोपण आदि धार्मिक कार्य पूर्ण विधि-विधान से किए जाते हैं।
पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को देवी आदिशक्ति प्रकट हुई थीं। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। तथा इस दिन से ही सतयुग का प्रारंभ हुआ था। इस दिन को उगादि भी कहते हैं। प्रतिपदा' के दिन ही पंचांग भी तैयार होता है।
हिन्दू कैलेंडर के मत अनुसार अभी हिन्दू नव संवत्सर 2080 जारी है और 09 अप्रैल 2024 से विक्रम संवत 2081 का प्रारंभ हो जाएगा। तथा इस संवत्सर का नाम क्रोधी रहेगा। हिन्दू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह से मानी जाती है, इस तरह से चैत्र मास नववर्ष का पहला माह माना जाता है। अत: इस बार गुड़ी पड़वा का त्योहार दिन मंगलवार, 9 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। इसे नूतन वर्ष भी कहा जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है।
अभिजीत मुहूर्त- 11.06 पूर्वाह्न से 11.54 पूर्वाह्न तक
विजय मुहूर्त- 01.30 अपराह्न से 02.17 अपराह्न तक
गोधूलि मुहूर्त- 05.26 अपराह्न से 05.51 अपराह्न तक
सायंकाल संध्या- 05.28 अपराह्न से 06.41 अपराह्न तक
अमृत काल- 02.08 अपराह्न से 03.34 अपराह्न तक
निशिता मुहूर्त- 11.06 अपराह्न से 11.54 अपराह्न तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- प्रातः 05.32 से रात्रि 08.36 तक
अमृत सिद्धि योग- प्रातः 05.32 से रात्रि 08.36 तक।
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