18 मार्च को वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर स्वयंसिद्ध मुहूर्त रहेगा। सनातन धर्म में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। किसी भी शुभकार्य या शुभ-कर्म को करने से पूर्व शुभ मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि यदि शुभ मुहूर्त साध लिया जाए तो अधिकांश दोषों का निवारण केवल शुभ मुहूर्त में किए गए कर्मों से हो जाता है।
लेकिन हिन्दू वर्ष में कुछ विशेष दिन ऐसे भी आते हैं जब स्वयंसिद्ध मुहूर्त होता है अर्थात् उस पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है। ऐसे मुहूर्त को स्वयंसिद्ध मुहूर्त या अबूझ मुहूर्त की संज्ञा दी गई है। पंचांग अनुसार स्वयंसिद्ध मुहूर्त की संख्या साढ़े तीन बताई गई है। वर्ष प्रतिपदा अर्थात् गुड़ी-पड़वा इन्हीं साढ़े तीन स्वयंसिद्ध मुहूर्त में सम्मिलित है। पाठकगण गुड़ी-पड़वा के पूरे दिन अपने शुभकार्यों का प्रारम्भ कर सकते हैं।