Gudi Padwa 2025: हिन्दू नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा कहते हैं। प्रत्येक मराठी परिवार इस दिन अपने घर के बाहर गुड़ी लगाकर उसकी पूजा करता है। आइए यहां जानते हैं इस संबंध में रोचक जानकारी, ये गुड़ी क्या होती है, इसे कैसे बनाते हैं और इसके लिए लगने वाली जरूरी सामग्री क्या-क्या है?ALSO READ: गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे
Material of gudi गुड़ी की सामग्री : एक डंडा, रेशमी साड़ी या चुनरी, पीले रंग का कपड़ा, फल, फूल, फूलों की माला, कड़वे नीम के 5 पत्ते, आम के 5 पत्ते, रंगोली, पाट, लोटा या गिलास, प्रसाद और पूजा सामग्री।
What is gudi गुड़ी क्या होती है : गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना हैं। जिसमें गुड़ी का अर्थ होता हैं विजय पताका और पड़वा का मतलब होता है प्रतिपदा। गुड़ी एक प्रकार से ध्वज होता है। यहां लेख में नीचे बताया गया है कि यह किस तरह बनाया जाता है।
How to decorate gudi कैसे सजाते हैं गुड़ी : मराठी परिवार घर के दरवाजे के बाहर गुड़ी लगाते हैं जबकि अन्य लोग ध्वज फहराते हैं। गुड़ी को अच्छे से सजाने के लिए उस पर हार फूल आदि लगाए जाते हैं। गुड़ी को पाट पर रखकर उसकी पूजा की जाती है।
गुड़ी सजाने से पहले इस दिन घर के द्वार को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। प्रवेश द्वार को आम के पत्तों का तोरण बनाकर लगाया जाता है और सुंदर फूलों से द्वार को सजाया जाता है। इसके साथ ही रंगोली बनाई जाती है।
2. दंड को साफ धो लें और उसके उपर रेशमी कपड़ा या साड़ी बांधें।
3. एक नीम की टहली, आम के पांच पत्ते, एक फूलों की माला, एक शक्कर की माला को लगाएं और उसके उपर से तांबा पितल या चांदी का लोटा या गिलास रखें।
4. जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो उस स्थान को साफ और स्वच्छ कर लेना चाहिए।
5. गुड़ी रखने वाले स्थान पर पहले रंगोली बनाई जाती है, वहां एक पाट रखा जाता है और उसके ऊपय वह दंड रखा जाता है।
6. तैयार गुड़ी को घर के दरवाजे पर, ऊंची छत पर या गैलरी में यानि किसी ऊँचे स्थान पर लगाई जाती है।
7. गुड़ी को अच्छी तरह से बांधकर और उस पर सुगंध, फूल और अगरबत्ती लगाकर गुड़ी की पूजा करनी चाहिए।
8. अगरबत्ती लगाने के बाद दीपक से गुड़ी की पूजा करते हैं।
9. फिर दूध-चीनी, पेड़े का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
10. दोपहर के समय गुड़ी को मीठा प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस दिन परंपरा के अनुसार श्रीखंड-पुरी या पूरनपोली का भोग लगाया जाता है।
11. शाम को सूर्यास्त के समय हल्दी-कुमकुम, फूल, अक्षत आदि अर्पित करके गुड़ी को उतारा जाता है।
12. सभी हिन्दू इस दिन एक-दूसरे को हिन्दू नव वर्ष की बधाई देते हैं।
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