Navreh festival 2024: चैत्र प्रतिपदा से विक्रम संवत के साथ ही और भी कई संवतों का प्रारंभ होता है लेकिन है सभी विक्रम संवत या प्राचीन सप्तऋषि संवत पर आधारित। सूर्य, चंद्र और नक्षत्र कैलेंडर पर आधारित ही देश में कई अन्य कैलेंडर का प्रचलन है। चैत्र प्रतिपदा से कश्मीर के नववर्ष नवरेह का प्रारंभ होता है। नवरेह संवत कश्मीरी हिंदुओं का संवत है।
3. नेची पत्री : कश्मीरी हिंदुओं के कुलगुरु नया कश्मीरी पंचांग जिसे नेची पत्री कहते हैं, प्रदान करता है। एक अलंकृत पत्रावली, क्रीच प्रच जिसमें देवी शारिका का चित्र बना होता है, वह भी प्रदान करता है।
4. विचर नाक झरना : नवरेह उत्साह, प्रकाश और रंगों का त्योहार है। इस दिन कश्मीरी पंडित पवित्र विचर नाग के झरने की यात्रा करते हैं तथा इसमें पवित्र स्नानकर मलिनता का त्याग करते हैं। इसके पश्चात् प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
5. पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, देवी मां शारिका का निवास शारिका पर्वत (हरि पर्वत) पर था जहां प्रसिद्ध सप्तऋषि एकत्रित होते थे। प्रथम चैत्र के शुभ दिन पर, जैसे ही सूर्य की पहली किरण चक्रेश्वरी पर पड़ी और उन्हें सम्मान दिया गया। ज्योतिषियों के लिए यह क्षण नववर्ष और सप्तर्षि युग की शुरुआत माना जाता है।