* मंदिर में दर्शन करने वाले को नीम और शक्कर प्रसाद के रूप में मिलता है।
* नीम कड़ुवा है, लेकिन आरोग्य-प्रद है। प्रारंभ में कष्ट देकर बाद में कल्याण करने वालों में से यह एक है।
* नीम का सेवन करने वाला सदा निरोगी रहता है।
* कितने ही विचार आचार में लाने में कष्टदायी होते हैं, इतना ही नहीं, वे कडुए भी लगते हैं, लेकिन वे ही विचार जीवन को उदात्त बनाते हैं।
* ऐसे सुंदर, सात्विक विचारों का सेवन करने वाला मानसिक और बौद्धिक आरोग्य पाता है। उसका जीवन निरोगी बनता है।
* प्रगति के रास्ते पर जाने वाले को जीवन में कितने 'कडुए घूंट' पीने पड़ते हैं, इसका भी इनमें दर्शन है।
* मंदिर में प्राप्त नीम और शक्कर के प्रसाद के पीछे अति मधुर भावना छिपी होती है। जीवन में कभी सुख या दुख अकेले नहीं आते। सुख के पीछे ही दुख होता है और दुख के पीछे सुख आता है।