Himachal Pradesh Election Result 2022 : इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा ने गुजरात में 'महाविजय' हासिल की है, लेकिन गुजरात की जीत के शोर में हिमाचल प्रदेश और एमसीडी की हार दब गई। कोई भी इस पर चर्चा नहीं कर रहा है। हर किसी का ध्यान गुजरात की जीत पर ही है। दरअसल, इसका बड़ा कारण यह भी है कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृह राज्य है।
हालांकि यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है, इसके बावजूद वहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। यह भी तब जब खुद नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित, केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर समेत कई नेता भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में रैलियां करने गए। आखिर भाजपा हिमाचल प्रदेश में क्यों हार गई, आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ बड़े कारण-
1. बदलाव की परंपरा : इस पहाड़ी राज्य की जनता 5 साल से ज्यादा किसी भी दल को मौका नहीं देती। हर चुनाव में नई पार्टी को मौका देती है। काफी लंबे समय से राज्य में यह 'परंपरा' कायम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश के लिए कई सौगातों की भी घोषणा की। 1900 करोड़ रुपए के बल्क ड्रग पार्क, चंबा में दो जल विद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखना, ऊना आईआईटी जैसी घोषणाएं की गईं, लेकिन उनका कोई असर नहीं हुआ। मतदाताओं ने अपनी बदलाव की परंपरा को ही ज्यादा महत्व दिया।
2. एंटी-इनकमबेंसी : राज्य में सत्ता विरोधी लहर भी देखने को मिली। भाजपा लोगों के मन को पढ़ने में नाकाम रही क्योंकि पिछले 5 सालों में हुए उपचुनावों में सत्ता में रहते हुए भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है जब सत्तारूढ़ पार्टी को उपचुनाव में हार झेलनी पड़ती हो।
3. पुरानी पेंशन : कांग्रेस द्वारा किया गया पुरानी पेंशन फिर से बहाल करने का वादा लोगों को पसंद आया, क्योंकि कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की सरकार मार्च 2022 में पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की चुकी है। इसका लोगों पर काफी असर देखने को मिला।
4. बागियों ने बिगाड़ा खेल : भाजपा को हराने में उसके अपने ही बागियों की भी बड़ी भूमिका रही। पुराने विधायकों को टिकट काटने का भाजपा का फार्मूला गुजरात में तो काम कर गया, लेकिन हिमाचल में इसका उसे नुकसान ही उठाना पड़ा। बागियों द्वारा मैदान संभालने से भाजपा को नुकसान हुआ। हालांकि कांग्रेस के भी कुछ बागी मैदान में थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अपने ही राज्य के बागियों को समझा नहीं पाए।
5. महंगाई और बेरोजगारी : पिछले कुछ समय से महंगाई आसमान पर है और बेरोजगारी को लेकर युवाओं में काफी नाराजगी देखने में आई। ऐसे में युवा वोटरों का एक बड़ा वर्ग भाजपा से दूर चला गया। महंगाई का असर छोटे-बड़े सभी वर्ग के लोगों को होता है। इसका भी असर राज्य में देखने को मिला। अग्निवीर योजना से भी युवाओं में गुस्सा देखने को मिला। हिमाचल से बड़ी संख्या में लोग सेना में जाते हैं। ऐसे में अग्निवीर योजना लागू होने के बाद उन्हें काफी निराशा हुई।
6. सेब उत्पादकों की नाराजगी : हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादकों का राज्य की 25 सीटों पर असर बताया जाता है। उनकी नाराजगी भी भाजपा को काफी महंगी पड़ी। दरअसल, सेब उत्पादक सेब पैकेजिंग सामान पर जीएसटी 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने के साथ ही कीटनाशकों का रेट बढ़ने से भी उनके बीच नाराजगी थी।