Guru Purnima 2025: जीवन में किसे बनाना चाहिए अपना गुरु, गुरु दीक्षा लेना क्यों जरुरी है?

WD Feature Desk

मंगलवार, 8 जुलाई 2025 (14:40 IST)
guru kisko banana chahiye: हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व श्रद्धा और आभार के साथ मनाया जाता है। यह दिन गुरु के महत्व को समझने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का खास अवसर होता है। गुरु शब्द केवल एक शिक्षक के लिए नहीं, बल्कि उस व्यक्ति या शक्ति के लिए भी होता है जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश देता है। गुरु पूर्णिमा 2025 इस बार और भी विशेष है क्योंकि बदलते समय में सही मार्गदर्शन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।
 
आज के दौर में, जब सोशल मीडिया, तकनीक और जानकारी का अतिरेक हो गया है, तब सही और स्थायी मार्ग दिखाने वाले गुरु की भूमिका और अधिक अहम हो गई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर जीवन में किसे अपना गुरु बनाना चाहिए? और क्या सच में गुरु दीक्षा लेना ज़रूरी है? आइए इन पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
 
गुरु का अर्थ केवल पढ़ाने वाला नहीं होता
अक्सर हम शिक्षक को ही गुरु मान लेते हैं, परंतु गुरु का दायरा इससे कहीं बड़ा होता है। गुरु वह होता है जो आपके जीवन की दिशा तय करने में मदद करे, जो आपको आपके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराए। गुरु सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देता, बल्कि आत्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का रास्ता भी दिखाता है।
 
गुरु न केवल यह बताते हैं कि क्या सही है और क्या गलत, बल्कि जब आप भ्रमित होते हैं या जीवन में खो जाते हैं, तब वही आपको केंद्रित और स्थिर रखते हैं। इसीलिए गुरु का स्थान माता-पिता और ईश्वर से भी ऊंचा माना गया है, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय…"
 
किसे बनाना चाहिए अपना गुरु?
गुरु चुनते समय सबसे पहले यह देखना चाहिए कि वह व्यक्ति न केवल ज्ञानी हो, बल्कि जीवन को समझने वाला, करुणामयी, व्यवहारिक और स्थिर बुद्धि वाला भी हो। आज के समय में गुरु केवल मठों और आश्रमों में नहीं मिलते, वह कोई शिक्षाविद्, विचारक, आध्यात्मिक साधक, या फिर कोई जीवन में अनुभवों से सीख देने वाला व्यक्ति भी हो सकता है।
 
आपका गुरु वह होना चाहिए, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाए, आपको आत्मनिर्भर बनाए और आपके भीतर की चेतना को जागृत करे। ऐसे व्यक्ति को चुनें जो आपके साथ भावनात्मक रूप से जुड़कर आपको स्वयं का श्रेष्ठ संस्करण बनने की प्रेरणा दे।
 
गुरु दीक्षा लेना क्यों जरूरी है?
गुरु दीक्षा का अर्थ केवल किसी मंत्र को जपने की अनुमति लेना नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक प्रक्रिया है जिसमें गुरु शिष्य के भीतर ज्ञान की अग्नि प्रज्वलित करता है। यह दीक्षा एक नया जीवन शुरू करने जैसा होता है, जहां अज्ञान का त्याग कर आप सच्चे ज्ञान और चेतना के मार्ग पर अग्रसर होते हैं।
 
गुरु दीक्षा से मानसिक शांति मिलती है, जीवन में स्थिरता और स्पष्टता आती है, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक बल बढ़ता है और संस्कारों और जीवनशैली में शुद्धता आती है। इसके अलावा, गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण शिष्य को एक ऐसा बल देता है जो किसी भी कठिन परिस्थिति में उसे रास्ता दिखा सकता है।
 
भले ही आज का युग तकनीक का हो, लेकिन जीवन जीने का तरीका केवल मशीनें नहीं सिखा सकतीं। करियर, रिश्ते, मानसिक स्वास्थ्य और आत्मिक शांति जैसे कई पहलू ऐसे हैं, जहां सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। इसलिए गुरु की भूमिका आज के समय में और भी बड़ी हो जाती है।
 
कई बार हमें यह लगता है कि हम सबकुछ खुद ही सीख सकते हैं, पर जब जीवन में कोई बड़ी उलझन आती है, तब हमें गुरु की कमी महसूस होती है। एक सच्चा गुरु न सिर्फ रास्ता दिखाता है, बल्कि साथ भी चलता है। 


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