गुरु पूर्णिमा 2023 : पुराणों के अनुसार कौन है प्रथम गुरु

सोमवार, 3 जुलाई 2023 (12:23 IST)
Guru purnima 2023 : आषाढ़ माह की पूर्णिमा यानी 3 जुलाई 2023 सोमवार को गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जा रहा है। भारत में प्राचीन काल से ही गुरु शिष्य की परंपरा रही है। इस परंपरा को किसने प्रारंभ किया और कौन है विश्व का प्रथम गुरु? आओ जानते हैं गुरु पूर्णिमा के अववसर पर पुराणों अनुसार प्रथम गुरु का नाम।
 
1. प्रथम गुरु : भगवान ब्रह्मा और शिव को इस संसार का प्रथम गुरु माना जाता है। ब्रह्माजी ने अपने मानस पुत्रों को शिक्षा दी तो शिवजी ने अपने 7 शिष्यों को शिक्षा दी जो सप्तर्षि कहलाए। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत ‍की थी जिसके चलते आज भी नाथ, शैव, शाक्त आदि सभी संतों में उसी परंपरा का निर्वाह होता आ रहा है। आदिगुरु शंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने इसी परंपरा और आगे बढ़ाया।
 
2. दूसरे गुरु दत्तात्रेय : शिवजी के बाद सबसे बड़ा गुरु भगवान दत्तात्रेय को माना जाता है। दत्तात्रेयजी ने ब्रह्मा, विष्णु और महेष तीनों से ही दीक्षा और शिक्षा ग्रहण की थी। दत्तात्रेय के भाई ऋषि दुर्वासा और चंद्रमा थे। दत्तात्रेय ब्रह्मा के पुत्र अत्रि और कर्दम ऋषि की पुत्री अनुसूया के पुत्र थे।
3. देवताओं के गुरु : देवताओं के पहले गुरु अंगिरा ऋषि थे। उसके बाद अंगिरा के पुत्र बृहस्पति गुरु बने। उसके बाद बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज गुरु बने थे। इसके अलावा हर देवता किसी न किसी का गुरु रहा है।
 
4. असुरों के गुरु : सभी असुरों के गुरु का नाम शुक्राचार्य हैं। शुक्राचार्य से पूर्व महर्षि भृगु असुरों के गुरु थे। कई महान असुर हुए हैं जो किसी न किसी के गुरु रहे हैं।
 
5. भगवानों के गुरु : भगवान परशुराम के गुरु स्वयं भगवान शिव और भगवान दत्तात्रेय थे। भगवान राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र थे। हनुमानजी के गुरु सूर्यदेव, नारद और मातंग ऋषि थे। भगवान श्रीकृष्‍ण के गुरु थे गर्ग मुनि, अंगिरस, सांदीपनि और वेद व्यास ऋषि। गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि भगवान बुद्ध के गुरु थे।
 

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