यह मुख्यमंत्री खट्टर का तीसरा बजट होगा। इस बार बजट डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक पर पहुंचने की संभावना है। हालांकि इस बार किसान मुद्दों पर खट्टर सरकार के सामने कई चैलेंज भी होंगे, जिस पर विपक्ष से टकराव की स्थिति भी बन सकती है।
बजट सत्र में 3 कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों पर दर्ज समस्त मुकदमे अभी तक वापस नहीं होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और इनेलो विधायक सरकार को कठघरे में खड़ा करेंगे। जमीन अधिग्रहण कानून में बदलाव का विरोध भी किया जाएगा। इसके साथ ही किसानों की प्राकृतिक आपदा से बर्बाद फसल का मुआवजा मिलने में देरी का मुद्दा भी सदन में उठाया जाएगा।
हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया है कि किसानों पर दर्ज आधे से ज्यादा मुकदमे वापस लिए जा चुके हैं और पेचीदा मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन ये मुद्दे खट्टर सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
वहीं बजट सत्र के दौरान बुढ़ापा पेंशन काटने पर भी बवाल मच सकता है। कांग्रेस ने हजारों लोगों की बुढ़ापा पेंशन बंद होने, उन्हें समय से भुगतान नहीं किए जाने, कानून व्यवस्था की स्थिति, स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती हालत, शिक्षकों की कमी, नौकरियों में भ्रष्टाचार जैसे कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।