मॉनसून में सावधान रहे अस्थमा के मरीज

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* दमा के रोगी को हल्का भोजन करना चाहिए। भारी भोजन के सेवन से श्वास में कमी उत्पन्न होने लगती है।

* रोगी को दबाव अर्थात तनाव और दृढ़ संवेग जैसे चिंता, डर आदि से बचना चाहिए। ये सभी दमे के दौरे को प्रेरित कर सकते हैं।

* रोजाना सांस की कोई वर्जिश करें और सरसों के तेल से छाती पर मालिश करने से आराम पहुंचता है।

* सोते वक्त रोजाना सिर के नीचे 3-4 तकिए रखकर सोने की आदत डालने से भी दमे के दौरे का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।

* हल्की और जल्द हजम होने वाली चीजों जैसे मूंग और अरहर की दाल, तोरई, कद्दू वगैरह इस्तेमाल करें।

* दमा रोग के लिए इन्हेलर भी बेहतर विकल्प है।

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* अस्थमा के मरीज को खुली और ताजी हवा में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। इसी के साथ ही भरपूर रोशनी भी लेनी चाहिए। ताजे और स्वच्छ पानी का भी भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए।

* हफ्ते में एक बार दमे के रोगी को उपवास जरूर रखना चाहिए।

* दमा के रोगी को शरीर में एसिड पैदा करने वाली चीजें जैसे कार्बोहाइड्रेट, फैट्स और प्रोटीन का इस्तेमाल कम मात्रा में करना चाहिए।

* दमा के रोगी को नाश्ते में मुनक्का का शहद के साथ इस्तेमाल करना चाहिए।

* दोपहर और रात के खाने में कच्ची सब्जियां जैसे ककड़ी,टमाटर, गाजर और सलाद का इस्तेमाल करें। साथ ही एक प्याला पकी हुई सब्जियां और गेहूं की रोटी भी ले सकते हैं।

* रात का खाना ज्यादातर सूरज ढलने से पहले या फिर कभी-कभी सोने के दो घंटे पहले करने से इसका बुरा प्रभाव हाजमे पर नहीं पड़ता है।

* अस्थमा के रोगी को अपनी भूख से कम खाना चाहिए। भोजन धीरे-धीरे और खूब चबाकर करना चाहिए।

* दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं।

* दौरे के वक्त में शुरूआती समय में रोगी को हर दो घन्टे में एक प्याला गरम पानी पीने को देते रहें।

- इन सब पथ्यों के साथ रोगी को कुदरत के कुछ नियमों का पालन करना भी बेहद जरूरी है। रोगी को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। धूल, मिट्टी और एलर्जी पैदा करने वाले कीटाणुओं से खुद का बचाव करना चाहिए। रोगी को सर्दी से बचना चाहिए और एलर्जिक फूड के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। इसी के साथ ही मानसिक चिन्ताओं से बचना चाहिए।

- आपको एक जरूरी बात और बता दें कि अस्थमा की चिकित्सा में शहद बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। अगर अस्थमा का रोगी एक जग में शहद भर लें और फिर उसके नजदीक जाकर सांस लें तो उसकी सांस की तकलीफ दूर होकर वह हल्का महसूस करेगा। कुछ वैद्य और यूनानी हकीम तो अस्थमा के इलाज के लिए एक साल पुराना शहद इस्तेमाल करने की भी सलाह देते हैं।

- दमा के लिए हल्दी भी एक बहुत अच्छी दवाई मानी जाती है। दमा के रोगी को दिन में दो से तीन बार एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर देने से रोग में फायदा होता है। इसका इस्तेमाल खाली पेट करना चाहिए।

- अगर उपरोक्त नियमों का सही और योग्य रूप से अस्थमा के रोगी पालन करें तो वे अपनी जिंदगी को दूसरों की तरह ही खुशहाल और स्वस्थ बनाकर सफल जीवन जी सकते हैं।

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