लॉफ्टर डे स्पेशल : 11 जनवरी

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हँसने के विचारों की परिणति को अमलीजामा 11 जनवरी 1998 को पहनाया गया था। हालाँकि बाद में विश्व हास्य दिवस मई के पहले रविवार को मनाया जाने लगा, लेकिन हँसने-हँसाने के इस रिश्ते की शुरुआत आज ही के दिन से हुई।

हँसी सबको भाती है
उद्यान में जाकर हँसने-हँसाने के सिलसिले के साथ रोज नई ऊर्जा से भर अपने दिन का स्वागत करने वाले शंभू यादव का कहना था कि प्रसन्नता जीवन का सर्वोत्तम धन है। उदास एवं मुरझाया हुआ चेहरा किसी को भी नहीं भाता है, तो वहीं एक मासूम बच्चे की खिलखिलाती सी हँसी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है, क्योंकि हँसी एक ऐसा अहसास है जो मन को सुकून प्रदान करती है।

क्लैपिंग विथ लॉफिंग
हँसी के ठहाकों के साथ तालियों का संगम कर जीवन में उत्साह का संचार करने वाले सुरेन्द्र मालवीय का कहना था कि जब हम तालियों के साथ हँसी का व्यायाम करते हैं तो शरीर की सुप्त अवस्था में रहने वाली कोशिकाएँ भी जाग्रत हो जाती हैं जिससे शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। पार्क के अंदर जैसे ही प्रवेश करते हैं हमारा मन अपने आप ही चिंताओं से मुक्त हो जाता है और मन को एक आत्मिक सुकून मिलता है।

हँसी और सेहत का रिश्ता
डॉक्टर्स के अनुसार, हँसी विभिन्न रोगों की अचूक औषधि है। यह एक ऐसी दवा है जिसका हमारे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव प़ड़ता है। हँसने से मनुष्य का इम्यूनिटी सिस्टम सक्रिय होता है। इससे प्रकृति किलर सेल्स में ब़ढ़ोत्तरी होती है, जो वायरसजनित रोगों एवं ट्यूमर्स सेल को खत्म करती है। हँसी हृदय का सर्वोत्तम व्यायाम है जिससे टी सेल की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है। हँसने से एंटीबाडी इम्यूनोग्लोब्यूलिन ए की मात्रा ब़ढ़ती है, जो श्वसन नली में होने वाले इंफेक्शन से बचाव करती है।

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हँसने से तनाव को जन्म देने वाले हार्मोंस का स्तर घटता है। पाचन तंत्र सही रखने, वजन घटाने एवं चर्बी कम करने में हँसी अहम भूमिका निभाती है। जोर से हँसने से हमारे शरीर में एक तरंग सी दौ़ड़ जाती है जिसमें एंडरोफिन हार्मोन भी होता है जो प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर का दर्दनिवारक है, यह शरीर में स्फूर्ति बढ़ाने एवं स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। हँसी से मस्तिष्क के दाएँ और बाएँ दोनों भागों की सक्रियता ब़ढ़ती है, जिससे मैमोरी शार्प होती है।

हँसना एक ऐसी ही संजीवनी बूटी है, जो मनुष्य की मनोस्थिति बदलकर उसे खुश रहते हुए जीने का अंदाज सिखाती है। जानवर हँस नहीं सकते, लेकिन इंसान दिल खोलकर हँस सकता है, यह ईश्वर की मनुष्य को दी गई सबसे बड़ी नियामत है। हँसना महज मनोरंजन नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी यह स्वस्थ रहने की एक 'थैरेपी' है। यही वजह है कि अब हँसी के इन ठहाकों को भी योग का एक हिस्सा मान लिया गया है।

लॉफ्टर डे का इतिहास
विश्व हास्य दिवस तो मई के पहले रविवार को मनाया जाता है, लेकिन इस हास्य दिवस की शुरुआत 11 जनवरी 1998 को मुंबई में डॉ. मदन कटियार ने की। संसार में शांति की स्थापना और लोगों के बीच भाईचारे और सद्भावना जाग्रत करने के उद्देश्य से इस दिवस की स्थापना की गई थी। डॉ. कटियार का मानना है कि हास्य एक सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है, जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और शांतिपूर्ण बनाने के सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। हास-परिहास पीड़ा का दुश्मन है।

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