सिर्फ एक सिप भी बढ़ा सकता है अल्जाइमर का खतरा, जानिए ये 3 ड्रिंक्स कैसे बनते हैं ब्रेन के लिए स्लो पॉइजन

WD Feature Desk

शुक्रवार, 23 मई 2025 (15:44 IST)
drinks that increase the risk of Alzheimer: आज की तेज रफ्तार और टेस्ट-ओरिएंटेड लाइफस्टाइल में हम जो खाते-पीते हैं, उसका सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है, ये बात अब सब मानने लगे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी चहेती ड्रिंक्स, जो आपको फ्रेशनेस, एनर्जी या रिलैक्सेशन का अहसास देती हैं, धीरे-धीरे आपके दिमाग के लिए जहर बन सकती हैं? जी हां, रिसर्च और न्यूरोलॉजिकल स्टडीज अब ये साबित कर चुकी हैं कि कुछ ड्रिंक्स जिनका हम अक्सर सेवन करते हैं, हमारे दिमाग की कार्यप्रणाली को इतना नुकसान पहुंचा सकती हैं कि अल्जाइमर जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
 
अल्जाइमर सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। आज की तनावभरी, प्रॉसेस्ड फूड से भरी और न्युट्रिएंट-कम जिंदगी में ये खतरा युवाओं के सिर पर भी मंडरा रहा है। खासतौर पर जब हम ऐसी चीजों का नियमित सेवन कर रहे हों, जो ब्रेन सेल्स को डैमेज कर सकती हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन-सी तीन ड्रिंक्स ऐसी हैं, जिनका सिर्फ एक सिप भी आपको अल्जाइमर के दरवाज़े के पास ले जा सकता है और क्यों इन्हें अपनी डाइट से दूर रखना चाहिए।
 
1. शुगर लोडेड सोफ्ट ड्रिंक्स
हर पार्टी, मूवी डेट या लंच के साथ सॉफ्ट ड्रिंक लेना आजकल आम बात है। कोला, ऑरेंज फिज, फ्रूटी फ्लेवर सब आपको टेस्ट और एनर्जी का फील देते हैं। लेकिन ये ड्रिंक्स आपकी ब्रेन हेल्थ के लिए स्लो किलर हैं। इनमें हजारों मिलीग्राम तक रिफाइंड शुगर होती है, जो ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ाती है और ब्रेन को हाइपर-स्टिम्युलेट करती है। इससे धीरे-धीरे ब्रेन सेल्स में सूजन (inflammation) होने लगती है और न्यूरोट्रांसमिटर्स असंतुलित हो जाते हैं। Harvard Medical School की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग रोजाना शुगर लोडेड ड्रिंक्स का सेवन करते हैं, उनमें अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा 47% तक बढ़ जाता है।
 
क्या असर होता है ब्रेन पर?
मेमोरी लॉस, फोकस करने में परेशानी, ब्रेन कोशिकाओं की समय से पहले मृत्यु और इंसुलिन रेसिस्टेंस के कारण न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर।             
 
2. एनर्जी ड्रिंक्स
एनर्जी ड्रिंक्स आज के यूथ की पहली पसंद बन चुके हैं, चाहे एग्जाम हो या वर्कआउट, ऑफिस प्रेशर हो या पार्टी नाइट। लेकिन इनमें कैफीन और आर्टिफिशियल स्टिमुलेंट्स की इतनी ज्यादा मात्रा होती है कि ये ब्रेन की नेचुरल साइकल को ही तोड़ डालते हैं। ये ड्रिंक्स ब्रेन की डोपामिन लेवल को अस्थायी रूप से बढ़ा देते हैं, जिससे मूड हाई लगता है, लेकिन जैसे ही असर खत्म होता है ब्रेन थकावट, एंग्ज़ायटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। बार-बार ये फेज़ आने से ब्रेन में न्यूरल डिसकनेक्ट्स बन जाते हैं, जो अल्जाइमर की एक प्रमुख वजह मानी जाती है। इन ड्रिंक्स में हाई डोज कैफीन (200mg से ज्यादा), टॉरिन, ग्वाराना और सिंथेटिक बी विटामिन और आर्टिफिशियल स्वीटनर और प्रिज़र्वेटिव्स छिपे रहते हैं, जो ब्रेन पर असर, नींद की क्वालिटी खराब, ब्रेन स्ट्रेस और ओवरस्टिम्युलेशन, लॉन्ग टर्म ब्रेन सेल डैमेज और याददाश्त में कमी और अल्जाइमर की शुरुआती अवस्था है। 
 
3. एल्कोहोलिक ड्रिंक्स
"थोड़ा पिया है, रिलैक्स हो जाऊंगा", ये सोच आज आम हो गई है। लेकिन सच ये है कि अल्कोहल का कोई भी सेफ लेवल नहीं है जब बात ब्रेन हेल्थ की हो।एल्कोहोल सीधे ब्रेन के न्यूरॉन नेटवर्क को प्रभावित करता है। ये न्यूरोटॉक्सिन है यानी एक ऐसा केमिकल जो ब्रेन सेल्स को नष्ट कर देता है। लंबे समय तक अगर वीकेंड्स पर भी आप एल्कोहोल का सेवन करते हैं, तो ये ब्रेन के हिप्पोकैम्पस हिस्से को प्रभावित करता है जो मेमोरी और लर्निंग से जुड़ा होता है। धीरे-धीरे अल्जाइमर के लक्षण उभरने लगते हैं जैसे चीजें भूलना, पहचान न पाना और व्यवहार में बदलाव। इन ड्रिंक्स में एथेनॉल (न्यूरोटॉक्सिक), आर्टिफिशियल कलर और फ्लेवर, हाई कैलोरी और शुगर कॉन्टेंट मौजूद रहता है। न्यूरॉन कनेक्शन टूटना, मेमोरी लॉस, डिप्रेशन और फॉगिंग, ब्रेन सेल्स की मुरझाई हुई स्थिति इसके नुकसान हो सकते हैं।  


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