Food and Facts : खाने पीने संबंधी इन भ्रांतियों से दूर रहें, इसे पढ़ें
आहार संबंधी पुरानी धारणाएं वर्तमान परिवेश में भी फिट बैठती हों, इसकी गारंटी नहीं मानी जा सकती। इन धारणाओं के मुताबिक चलते रहना भी शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। तेज रफ्तार जिंदगी ने लोगों के खान-पान को सर्वाधिक प्रभावित किया है। आजकल खाने के मामले में अधिकतर लोगों का नियम यह है कि जो भी मिल जाए, उसी से पेट भर लेते हैं।
नतीजतन, कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों ने लोगों को घेर लिया है। आहार दुरुस्त करने की हड़बड़ाहट में अधिकतर लोग कई तरह की भ्रांतियों का शिकार हो जाते हैं। मसलन, मोटापे के शिकार व्यक्ति को यदि कोई बता दे कि खाना बंद कर देना है तो वह ऐसा ही करता है। संतुलित आहार न लेने पर पैदा होने वाली दिक्कतों से निपटने के लिए हर किसी की सलाह पर अमल कर लेना लोगों की आदत बन जाती है।
कई बार सलाह कारगर होती है तो कई बार स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। सही जानकारी न होने की वजह से नुकसान होते रहने के बावजूद सलाह पर अमल करना जारी रहता है। अंततः घातक परिणाम सामने आते हैं। कुल मिलाकर खान-पान के मामले में अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। आइए, खान-पान संबंधी कुछ भ्रांतियों को दूर करें-
*कैसा पानी पीएं : खासकर शहरों में आजकल बोतलबंद पानी का इस्तेमान अधिकाधिक होने लगा है। बोतलबंद पानी को नल के पानी से अधिक पोषक बताकर बेचा जा रहा है। वास्तविकता यह है कि नल के पानी में बोतलबंद पानी की अपेक्षा अधिक खनिज होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बोतलबंद पानी में सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जो उच्च रक्तचाप की स्थिति पैदा कर सकती है।
*चिकनाई से कितना बचें : वर्तमान समय में चिकनाई को आदमी के स्वास्थ्य के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। यह काफी हद तक सही भी है लेकिन इस प्रचार से प्रभावित होकर कई लोग चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से पूरी तरह दूरी बना लेते हैं। इस स्थिति में स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। हमारे शरीर को एक दिन में कम से कम 25 ग्राम चिकनाई की तथा चिकनाई में घुलने वाले विटामिन ए, डी, ई, के एवं बीटा कैरोटीन के अवशोषण की आवश्यकता होती है। अतः सीमित मात्रा में चिकनाई का सेवन जरूरी है।
*कच्ची सब्जियां कितनी जरूरी : कच्ची सब्जियां खाने की सलाह हर कोई हर किसी को दे देता है। जरा सोचिए, जिनका पेट कच्ची सब्जियों को पचाने की क्षमता न रखता हो, उनका क्या होगा! वृद्ध, बच्चे एवं पेट की गड़बड़ी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कच्ची सब्जियां फायदे की जगह नुकसान कर सकती हैं। इसलिए बेहतर होगा कि थोड़ा पकाने के बाद ही सब्जियों को खाएं।
* प्रोटीन कितना फायदेमंद : देखने में आया है कि लोगों में अत्यधिक प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ लेने की होड़ लगी रहती है। खासकर खिलाड़ी प्रोटीन का अधिकाधिक सेवन करने की फिराक में रहते हैं। वास्तविकता यह है कि खिलाड़ियों को अतिरिक्त प्रोटीन की नहीं बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। कार्बोहाइड्रेट को रोटी, चावल, आलू आदि से प्राप्त किया जा सकता है। अत्यधिक प्रोटीन हड्डियों से अधिक मात्रा में कैल्शियम की क्षति का कारण बन सकता है।
*कितना लें नमक : आम तौर पर खाने में नमक की मात्रा का कोई निर्धारित मापदंड नहीं अपनाया जाता। कितने लोग हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह के मुताबिक दिन भर में छः ग्राम नमक तौलकर खाते हैं? अधिकतर लोग इससे ज्यादा ही नमक का इस्तेमाल करते हैं। जरूरत से अधिक नमक की मात्रा यूँ तो सभी के लिए हानिकारक है, खासकर बच्चों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बच्चों के भोजन में अतिरिक्त नमक उनमें निर्जलीकरण की समस्या पैदा कर सकता है।
*क्या आवश्यक है पूरक विटामिन : आजकल कई लोग पूरक विटामिनों का सेवन करते हैं। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं, जो आहार संबंधी खराब आदतों के शिकार होते हैं। ये लोग खान-पान पर ध्यान देने के बजाए पूरक विटामिनों के सेवन से शरीर को दुरुस्त रखने में ज्यादा विश्वास करते हैं। ऐसे लोगों को एक बात दिमाग में बैठा लेनी चाहिए कि पूरक विटामिन कभी भी संतुलित आहार की जगह नहीं ले सकते। संतुलित आहार विटामिनों के साथ ही शरीर की दूसरी आवश्यकताओं की भी पूर्ति करता है जबकि पूरक विटामिनों के सेवन से ऐसा संभव नहीं है।