डॉक्टरों के एप्रन और टाई फैलाते हैं खतरनाक संक्रमण

मोबाइल फोन संक्रमण फैलाने के एक माध्यम के रूप में काम करते हैं, क्योंकि उसे कभी रोगाणु मुक्त नहीं किया जाता है। इस बीच, नए साक्ष्यों से पता चला है कि भारत में चिकित्सकों द्वारा पहने जाने वाले एप्रन और टाई को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, क्योंकि वे संक्रमण के एक बड़े माध्यम हो सकते हैं।

इन माध्यमों से जब रोग फैलते हैं तो इसे अस्पताल द्वारा फैला संक्रमण माना जाता है। इस तरह के रोगों का उपचार वास्तव में कठिन होता है, क्योंकि इस तरह के कीटाणु अस्पताल के माहौल में बहुत बलशाली हो जाते हैं।
 
अध्ययन इस बात की ओर इशारा करता है कि हर जगह पाए जाने वाले मोबाइल फोन में भी संक्रमण फैलाने वाले जीवाणु होते हैं, क्योंकि स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा इन्हें कभी जीवाणुमुक्त नहीं बनाया जाता।

एक हालिया ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन में यह पाया गया है कि उनके द्वारा विश्लेषित 5 प्रतिशत मोबाइल फोन जीवाणु फैलाने के स्रोत हैं। मोबाइल चूंकि शरीर के संपर्क में आते हैं इसलिए जीवाणुओं द्वारा संक्रमित हो जाते हैं।

एक अध्ययन के मुताबिक अधिकतर डॉक्टर एप्रन और टाई ‘प्रोफेशनल’ दिखने के लिए ऐसा करते हैं। मंगलोर स्थित ऐनेपोया मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में काम करने वाले एडमंड फर्नांडीस ने सवाल उठाया कि ‘क्या डॉक्टरों को एप्रन पहनने की जरूरत है?’
 
तुर्की के एक अध्ययन के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों के 95 प्रतिशत मोबाइल फोन को विभिन्न बैक्टीरिया से दूषित पाए गए और उनमें से कुछ एटीबायोटिकरोधी और उच्च संक्रामक थे।

इसी प्रकार चेन्नई स्थित रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड शोध संस्थान के अध्ययन में यह पाया गया है कि स्वास्थ्यकर्मियों के 71 फीसदी मोबाइल फोन संक्रमण फैला रहे हैं। उन्होंने साथ ही पाया कि केवल 12 प्रतिशत डॉक्टरों ने कीटाणुनाशक से अपना मोबाइल साफ किया।

बेंगलुरु मेडिकल और शोध संस्थान के एक अध्ययन में यह पाया गया कि कोई भी मेडिकल छात्र अपने एप्रन को प्रतिदिन नहीं धोते हैं और 80 फीसदी से अधिक छात्र अपने एप्रन को सप्ताह में केवल 1 बार धोते हैं।
 
इसी तरह 2010 के एक आयरिश अध्ययन में यह पाया गया कि इस तरह के पेशे में टाई पहनना गलत परंपरा है, क्योंकि इसमें मरीजों से संपर्क होता है और उसका कोई फायदा भी नहीं है। इन्हें शायद ही कभी धोया जाता है।

इस संबंध में लंदंन में सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट प्रज्ञा मिश्रा ने बताया कि यहां डॉक्टर्स एप्रन नहीं पहनते क्योंकि उनसे इन्फेक्शन फैलने का खतरा ज्यादा होता है। वह सफेद कोट जिसे भारत में डॉक्टर्स का ड्रेस कोड माना जाता है, वह यूके में सिरे से गायब है। यहां सफेद कोट सिर्फ पैथोलॉजी लैब में ही दिखाई देता है और वह वहां काम करने वालों के लिए होता है। यहां डॉक्टर्स स्मार्ट ड्रेस कोड में ही दिखाई देते हैं। लेकिन जब भी वह मरीज देखते हैं तब उनकी टाई शर्ट के अंदर होती है और शर्ट की बाहें कोहनी तक मुड़ी होती है। हर मरीज को देखने के बाद 'डिसइन्फेंक्टेंट' से हाथ साफ करना जरूरी होता है। 

(भाषा/ वेबदुनिया)

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