जैसी होगी सोच, वैसा होगा रोग.. पढ़ें बहुत दिलचस्प जानकारी
डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल
आम धारणा में यह बात बनी हुई है कि यदि मन खराब है तो उसका शरीर से कोई लेना-देना नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि मन का एक छोटा-सा भी विचार शरीर पर अपनी प्रतिक्रिया छोड़ता है। जब मन में लालच जागता है तो उसका फर्क शरीर पर पड़ता है। जब मन में प्रेम जागता है, तो भी शरीर प्रतिक्रिया करता है। मन जिस स्थिति में होता है, मस्तिष्क द्वारा हार्मोनों का स्राव भी उसी के अनुरूप होता है और शरीर की काया हार्मोनों द्वारा निर्मित होती है। आइए देखें अलग-अलग तरह की मनःस्थिति से जुड़े हार्मोन और उनसे पड़ने वाले प्रभावों को :
चालाकी : इस स्थिति में मन अंदर ही अंदर अपना लाभ ही देखता है।
हार्मोन : थाइरोक्सिन, इंसुलिन, एड्रीनोलिन का अल्प स्राव
प्रभाव : थाइराइड, डायबिटीज, कैंसर, उच्च रक्तचाप, एलर्जी जैसी समस्या।
घृणा, ईर्ष्या, जलन, बेईमानी, चिंता
हार्मोन : वेसोप्रेसिन, टेस्टोस्टेरान, एण्ड्रोजन, गोंडाट्रॉफिन, ऑक्सीटोसिन का अल्प स्राव,
प्रभाव :नपुंसकता, बाँझपन, शीघ्रस्खलन, चिड़चिड़ाइट, अनिद्रा, जिद्दी स्वभाव जैसी समस्या।
कंजूसी, आलस्य, प्रमाद
हार्मोन :हाइपोथेलेमस अक्रिय मिस्क्सीडिमा, मेलोनीन सेरोटोनिन का अल्प स्राव
प्रभाव :कब्ज, अल्सर, एसिडिटी, डिप्रेशन, हाथ-पैरों में दर्द, मोटापा।
मन को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा उसे शरीर की कोशिकाओं व मस्तिष्क की ग्रंथियों द्वारा स्रावित हार्मोनों से प्राप्त होती है। इस ऊर्जा में प्रमस्तिष्क व हाइपोथेलेमस महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रमस्तिष्क व हाइपोथेलेमस शरीर की सभी अनैच्छिक व ऐच्छिक क्रियाओं पर नियंत्रण रखते हैं तथा शरीर को सुचारु रूप से चलाने में मदद करते हैं।