हमारे देश में लौंग जंजीबार से आती है। वही लौंग लाभकारी होती है, जिसमें से तेल ना निकाला गया हो। लौंग कफ पित्त शामक होती है। प्यास लगने और जी मचलने पर लौंग का सेवन लाभकारी होता है।
पाचन क्रिया पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। लौंग भूख बढ़ाती है, इससे पाचक रसों का स्त्राव बढ़ता है। पेट के कृमि इसके प्रयोग से नष्ट हो जाते हैं।
इसकी मात्रा 1 से 5 लौंग तक ही उचित है। इसे पीसकर मिश्री की चाशनी या शहद के साथ लेना अधिक लाभप्रद होता है।
लौंग श्वेत रक्त कणों को बढ़ाती है तथा जीवन शक्ति के लिए जिम्मेदार कोषों का पोषण करती है। यह एंटीबायोटिक है। अत: दमा रोग में अत्यंत लाभकारी है। दमे का दम निकल जाएगा अगर इसकी चाय नियमित पीना शुरु कर दी।
त्वचा के किसी भी प्रकार के रोग में चंदन बूरा के साथ मिलाकर लेप लगाने से फायदा मिलता है।