इस मौसम में सेहत के लिए फायदेमंद है खीर, जानिए वैज्ञानिक कारण

श्राद्ध से लेकर नवरात्रि और फिर शरद पूर्णिमा तक जो खीर हम खाते हैं वह हमें कई तरह के फायदे पहुंचाती है। खास तौर से मलेरिया से बचाने में सहायक है। इस समय खीर खाने का वैज्ञानिक कारण और खास महत्व है।जानते हैं कैसे - 
 
1 मच्छरों के काटने पर मलेरिया के बैक्टीरिया शरीर में फैलते हैं, जिससे आपको मलेरिया होता है। लेकिन बैक्टीरिया बिना उपयुक्त वातावरण के नहीं पनप सकते। 
 
2 मलेरिया के बैक्टेरिया को जब पित्त का वातावरण मिलता है, तभी वह 4 दिन में पूरे शरीर में फैलता है, नहीं तो थोड़े समय में समाप्त हो जाता है। 
 
3 ऐसे में मलेरिया फैलने का मुख्य कारण है शरीर में पित्त का बढ़ना या पित्त का असंतुलन। यानि पित्त को नियंत्रित रखकर, हम मलेरिया से बच सकते हैं।
 
कैसे बिगड़ता है पित्त का संतुलन - 
 
4 वर्षा ऋतु के बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान में बादल व धूल के न होने से कड़क धूप पड़ती है। जिससे शरीर में पित्त असंतुलित होता है।
 
5 इस समय गड्ढों आदि मे जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्रा मे मच्छर पैदा होते हैं इससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है।  
 
6 लेकिन खीर खाना, पित्त को बैलेंस करता है। इसलिए पित्त के असंतुलन से बचने के लिए इस समय खास तौर से खीर खाने की परंपरा है।
 
7 शरद पूर्णिमा को रातभर चांदनी के नीचे चांदी के पात्र में रखी खीर सुबह खाई जाती है। यह खीर हमारे शरीर में पित्त का प्रकोप कम करती है। और मलेरिया के खतरे को कम करती है। 
 
8 शरद पूर्णिमा की रात में बनाई जाने वाली खीर के लिए चांदी का पात्र न हो तो चांदी का चम्मच खीर में डाल दे, लेकिन बर्तन मिट्टी, कांसा या पीतल का हो। 
 
9 इस ऋतु में बनाई जाने वाली खीर में केसर और मेवों का प्रयोग कम करें। यह गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते हैं। 

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