नींद से जुड़ी कई भ्रांतिया हैं। आमतौर पर यह तो सभी मानते हैं कि छोटे बच्चों और किशोरावस्था में कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही वह उम्र है, जिस दौरान बच्चे खेलते-कूदते हैं व काफी शारीरिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, जिससे उनकी ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है और वे अधिक थकते हैं। ऐसे में इस उम्र में 8 से 9 व कुछ बच्चे 10 घंटे भी सोते हैं, तो यह उनके शारीरिक व मानसिक विकास के लिए जरूरी है।
लेकिन उन लोगों का क्या जो 40 प्लस हैं? क्या उनके शरीर को रोजाना 7 से 8 घंटे सोने की जरूरत नहीं है? अक्सर बड़े-बुजुर्ग लोग यह भ्रांति जीवनभर पाले बैठते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ उन्हें कम सोने की जरूरत है। कई बार तो उन्हें सोने की कोशिश करने पर भी नींद नहीं आती है, कई बार नींद लगने में बहुत ज्यादा समय लगता है तो कई बार नींद आ भी जाए तो कुछ ही घंटे में खुल जाती है और इसका कारण वे यह समझ बैठते हैं कि उन्हें कम ही नींद की जरुरत है, तभी तो उन्हें नींद नहीं आती है।
हालांकि नींद न लग पाना और शरीर को नींद की आवश्यकता ये दो अलग-अलग बात हैं। इंसानी शरीर हर परिस्थिति के अनुकूल सामंजस्य बैठाने में सक्षम होता है। जैसे यदि आप किसी बहुत ही ठंडे तापमान वाली जगह रहने चले जाएं या बहुत ही गर्मी वाली जगह चले जाएं तो दोनों ही स्थिति में आपकी बॉडी कुछ ही दिनों में अपने आप को उस जगह में रहने के लिए अनुकूल करने लगती है। इसी तरह यदि आप अपने दिमाग को कम घंटे जैसे 5 से 6 ही घंटे नियमित सोने की आदत डाल देंगे तो आप रोज इतनी ही देर सोने लगेंगे। अपनी दिनचर्या में भी आपको कोई तकलीफ नजर नहीं आएगी। लेकिन दीर्घकालिक अवधि में आपका शरीर नींद की लगातार कमी होने के चलते जवाब देने लगेगा और तब आप समझ नहीं पाएंगे कि कोई गंभीर बीमारी आपको अचानक कैसे लग गई। यह बात शिकागो विश्वविद्यालय की रिसर्च में सामने आ चुकी है।
इस रिसर्च के मुताबिक, बढ़ती उम्र व बुढ़ापे में भी आपको 7 से 8 व 9 घंटे की नींद लेना अति आवश्यक है। सभी की बॉडी अलग होती है, इसलिए कुछ के लिए 7 घंटे सही हैं तो कुछ के लिए 8 व 9 घंटे भी सही हैं। हफ्ते में किसी कारणवश कुछ दिन यदि आप 5 से 6 घंटे ही सो पाएं तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन लगातार ऐसा होने पर आपको आगे चलकर याददाश्त कम होना, किसी एक जगह व काम में फोकस नहीं कर पाना, शारीरिक व मानसिक परेशानियां और हार्ट संबंधी कई बीमारियां हो जाएंगी।