नई दिल्ली। सीबोरोइक डर्मेटिटीज (एसडी) एक प्रकार की रूसी होती है। जिन लोगों में इसका प्रभाव होता है, उनको एचआईवी के शुरुआती लक्षणों की संभावना के रूप में भी देखा जा सकता है। लंदन की ट्रायकोलॉजी सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. बैरी स्टीवंस के अनुसार जहाँ सामान्य लोगों में एसडी किस्म की रूसी 3 प्रतिशत होती है, वहीं एड्स रोगियों में इसकी संभावना 30 प्रतिशत होती है। भारतीय अध्ययन भी 56 प्रतिशत मामलों में इस तरह की बात की पुष्टि करते हैं।
एसबीएमपी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर बीजापुर के एक अध्ययन में कहा गया है कि एसडी होने की संभावना एचआईवी ग्रस्त होने की संभावना को बल देती है। भारतीय ट्राइकोलॉजिस्ट डॉ. अक्षय बत्रा के अनुसार एचआईवी से ग्रस्त अनेक रोगियों पर एसडी का प्रभाव होता है, परंतु इसका यह मतलब कतई नहीं है कि जो व्यक्ति एसडी से प्रभावित होगा, उसके एचआईवी पॉजीटिव होने की आशंका रहती है।