IVF delivery normal vs c-section : आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के जरिए माता-पिता बनने का सपना देखने वाले जोड़ों के मन में अक्सर यह सवाल होता है कि इस प्रक्रिया के बाद नॉर्मल डिलीवरी संभव है या केवल सी-सेक्शन (C-Section) का ही विकल्प बचता है। यह सवाल महिलाओं के स्वास्थ्य और बच्चे की सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए इसे समझना बेहद जरूरी है।
आईवीएफ में डिलीवरी का तरीका कैसे तय होता है?
डिलीवरी का तरीका महिला और बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। हालांकि, आईवीएफ से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में कुछ विशेष परिस्थितियां हो सकती हैं, जो सी-सेक्शन का खतरा बढ़ा सकती हैं।
गर्भवती महिला की उम्र: आईवीएफ अधिकतर 35 से अधिक उम्र की महिलाओं में किया जाता है, जिनमें नॉर्मल डिलीवरी के जोखिम बढ़ जाते हैं।
पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं: हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, या अन्य स्वास्थ्य स्थितियां सी-सेक्शन की संभावना बढ़ा सकती हैं।
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यदि महिला और बच्चे का स्वास्थ्य पूरी तरह सामान्य हो।
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गर्भावस्था के दौरान किसी जटिलता का सामना न करना पड़े।
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डॉक्टर द्वारा नियमित जांच में सभी पैरामीटर सही पाए जाएं।
सी-सेक्शन क्यों अधिक आम है?
आईवीएफ में सी-सेक्शन के अधिक आम होने के पीछे कई कारण होते हैं:
मल्टीपल प्रेगनेंसी: आईवीएफ में जुड़वां या अधिक बच्चों का गर्भधारण आम है, जिससे नॉर्मल डिलीवरी मुश्किल हो जाती है।
गर्भाशय की स्थिति: कुछ मामलों में गर्भाशय पर अधिक दबाव या जटिलता के कारण सी-सेक्शन बेहतर विकल्प होता है।
डॉक्टर की सलाह: डॉक्टर अक्सर बच्चे और मां की सुरक्षा के लिए सी-सेक्शन को प्राथमिकता देते हैं।
आईवीएफ में नॉर्मल डिलीवरी संभव हो सकती है, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है। सी-सेक्शन का विकल्प अधिक आम है, लेकिन नियमित जांच और विशेषज्ञ की सलाह से आप सही निर्णय ले सकते हैं।
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