कैसे करें शुद्ध शहद की पहचान

डॉ. सुभाष संघवी
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शहद एक प्राकृतिक मधुर पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में एकत्र करने के फलस्वरूप बनता है। शहद का स्वाद बेहद मीठा होता है। दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है जो उत्तम एवं संतुलित भोजन की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो संतुलित आहार में होने चाहिए।

यह वात और कफ को नियंत्रित करता है तथा रक्त व पित्त को सामान्य रखता है। शहद नेत्र ज्योति को बढ़ाता है, प्यास को शांत करता, कफ को घोलकर बाहर निकालता और शरीर में विषाक्तता को कम करता है। इतना ही नहीं यह मूत्रमार्ग में उत्पन्न व्याधियों तथा निमोनिया, खाँसी, डायरिया, दमा आदि में बहुत उपयोगी होता है।

शहद में लगभग 75 प्रश शर्करा होती है जिसमें से फ्रक्टोस, ग्लूकोज, सुल्फोज, माल्टोज, लेक्टोज आदि प्रमुख हैं। इसमें अन्य पदार्थों के रूप में प्रोटीन, वसा, एन्जाइम भी पाया जाता है। यही नहीं शहद में विटामिन ए, बी-1, बी-2, बी-3, बी-5, बी-6, बी-12 तथा अल्पमात्रा में विटामिन सी, विटामिन एच और विटामिन 'के' भी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें लोहा, फास्फोरस, कैल्शियम और आयोडीन भी पाए जाते हैं।

शहद शुद्धता की पहचा
काँच के एक साफ ग्लास में पानी भरकर उसमें शहद की एक बूँद टपकाएँ। अगर शहद नीचे तली में बैठ जाए तो यह शुद्ध है और यदि तली में पहुँचने के पहले ही घुल जाए तो शहद अशुद्ध है।

शुद्ध शहद में मक्खी गिरकर फँसती नहीं बल्कि फड़फड़ाकर उड़ जाती है।

शुद्ध शहद आँखों में लगाने पर थोड़ी जलन होगी, परंतु चिपचिपाहट नहीं होगी।

शुद्ध शहद कुत्ता सूँघकर छोड़ देगा, जबकि अशुद्ध को चाटने लगता है।

शुद्ध शहद का दाग कपड़ों पर नहीं लगता।

शुद्ध शहद दिखने में पारदर्शी होता है।

शीशे की प्लेट पर शहद टपकाने पर यदि उसकी आकृति साँप की कुंडली जैसी बन जाए तो शहद शुद्ध है।

शहद के लाभकारी प्रयोग
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शहद का नियमित और उचित मात्रा में उपयोग करने से शरीर स्वस्थ, सुंदर, बलवान, स्फूर्तिवान बनता है और दीर्घजीवन प्रदान करता है। शहद को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। शहद का पीएच मान 3 से 4.8 के बीच होने से जीवाणुरोधी गुण स्वतः ही पाया जाता है। प्रातःकाल शौच से पूर्व शहद-नींबू पानी का सेवन करने से कब्ज दूर होता है, रक्त शुद्ध होता है और मोटापा कम होता है।

गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों द्वारा शहद का सेवन करने से पैदा होने वाली संतान स्वस्थ एवं मानसिक दृष्टि से अन्य शिशुओं से श्रेष्ठ होती है। त्वचा पर निखार लाने के लिए गुलाब जल, नींबू और शहद मिलाकर लगाना चाहिए। गाजर के रस में शहद मिलाकर लेने से नेत्र-ज्योति में सुधार होता है। उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद लेने से रक्तचाप सामान्य होता है।

त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है।

नोट : गर्म करके अथवा गुड़, घी, शकर, मिश्री, तेल, मांस-मछली आदि के साथ शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।

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