हमीरपुर जिले में बागी बिगाड़ सकते हैं भाजपा का खेल, 3 सीटों पर मुश्किल ज्यादा
बुधवार, 2 नवंबर 2022 (12:59 IST)
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की 5 विधानसभा सीटों में अब 32 उम्मीदवारों के मैदान छोड़ने के बाद साफ हो गया है कि भाजपा हमीरपुर और बादसर जिलों में 5 में से 3 विधानसभा सीटों पर विद्रोह का सामना कर रही है।
हमीरपुर सीट पर 9 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से मुख्य मुकाबला भाजपा के नरेंद्र ठाकुर और कांग्रेस के डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा और निर्दलीय उम्मीदवार आशीष शर्मा के बीच है। हालांकि 2007 से यह सीट भाजपा के पास ही है। 2002 में यहां से कांग्रेस की अनिता वर्मा चुनाव जीती थीं। वतर्मान में इस सीट पर नरेन्द्र ठाकुर ही विधायक हैं।
बादसर में संजीव ने बढ़ाई मुश्किल : बादसर विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार माया शर्मा को पार्टी के ही विद्रोही नेता संजीव शर्मा के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। शर्मा भाजपा के दिवंगत नेता राकेश बबली के बड़े भाई हैं। कांग्रेस की ओर से इंद्रदत्त लखनपाल मैदान में हैं। बसपा के रतनचंद कोटच, आप के गुलशन सोनी, राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के नरेश कुमार और हिमाचल जनक्रांति पार्टी के परमजीत धातवालिया चुनाव लड़ रहे हैं। माया शर्मा भाजपा के जिला प्रमुख बलदेव शर्मा की धर्मपत्नी हैं। शर्मा पूर्व विधायक भी रह चुके हैं।
भोरंज में भी बागी मैदान में : भोरंज (सुरक्षित) सीट पर 5 प्रत्याशी मैदान में हैं। उनमें भाजपा के डॉ. अनिल धीमान, कांग्रेस के सुरेश कुमार, बसपा के जरनैल सिंह और पवन कुमार निर्दलीय। डॉ. धीमान 6 बार इस सीट से विधायक रह चुके स्वर्गीय आईडी धीमान के बेटे हैं। इस सीट पर भाजपा पवन कुमार के विरोध का सामना कर रही है, जो जिला परिषद सदस्य हैं और यहां अच्छी पकड़ रखते हैं।
सुजानपुर में होगा रोचक मुकाबला : सुजनपुर सीट पर 5 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के राजेंद्र राणा के सामने भाजपा के कैप्टन रणजीत सिंह मैदान में हैं। बसपा ने ज्ञानचंद पर दांव लगाया है और आम आदमी पार्टी ने अनिल राणा पर भरोसा जताया है। इसी सीट पर राजेश कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना भाग्य आजमाने जा रहे हैं। यह सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए भी नाक का मामला है। राणा यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं तो कैप्टन रणजीत सिंह के सिर पर पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता पीके धूमल का हाथ है।
इसी तरह से नादौन सीट से 6 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें शामिल हैं। कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुख्खू के सामने हैं भाजपा के विजय अग्निहोत्री। बसपा ने देशराज, आम आदमी पार्टी ने शैंकी ठुकराल के अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार गौतम और रणजीत सिंह भी मैदान में हैं।
महिला वोटर निर्णायक : जिले में लगभग सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के नाम साफ होने के बाद अब सभी दलों ने जीत के लिए पूरी ताकत झौंक दी है। जिले में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण सभी दल इनको अपनी अपनी नीतियों से लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। इस सीट पर 12 नवंबर को होने जा रहे मतदान में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यह महिला मतदाता जिस भी उम्मीदवार पर भरोसा दिखाएंगी, जीत का सहरा उसी के सिर होगा।
विकास बनाम बेरोजगारी : यह चुनाव भी भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और राज्य के विकास के नाम पर लड़ रही है। कांग्रेस मुख्यत: भाजपा की आलोचना को आधार बना रही है वह भाजपा पर बेरोजगारी और कानून व्यवस्था की बेहतरी के लिए काम नहीं कर पाने का आरोप भाजपा पर लगा रही है। कांग्रेस ने साफ किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो एक बार फिर पुरानी पेंशन लागू करेगी। आम आदमी पार्टी भी यही वादा लोगों से कर रही है। आप लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षण सुविधाएं बेहतर ढंग की मुहैया कराने जैसे वादों पर भी जोर दे रही है।
दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा : हमीरपुर में चुनाव प्रचार के लिए सभी दलों ने अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अन्य प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस की ओर से प्रिंयका और राहुल गांधी यहां चुनावी जनसभा को संबोधित करने आने वाले हैं। आप की ओर से दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान प्रचार के लिए आएंगे।
लोगों के वोट हासिल करने के लिए नेताओं के बीच मचे घमासान से दूर जिले की जनता ने अपनी मंशा को लेकर चुप्पी साधी हुई है। ऐसा में यह देखना रोचक होगा कि आम जनता किस पार्टी को सत्ता सिंहासन पर बैठाती है।