दैनिक जीवन में कई बार आप जाने-अनजाने ऐसी हरकतें कर बैठते हैं जो उस समय भले ही आपको समझ न आए या फिर आपके लिए वह आदतन हो, लेकिन आपके आस-पास के लोगों पर नकारात्मक असर डाल जाती है। कई बार आप उसके लिए हँसी के पात्र भी बन जाते हैं। यूँ देखा जाए तो एटीकेट्स तथा कायदों के मामले में अंग्रेजों को पितृपुरुष माना जा सकता है।
आखिर तो तथाकथित तमीज के काफी सारे मापदंड वे ही हम भारतीयों के लिए बनाकर गए। लेकिन अब कायदे भी ग्लोबल हो गए हैं। यानी अब आपको पूरी दुनिया के सभ्य समाज में सरवाइव करने के लिहाज से कायदे सीखने पड़ेंगे। खैर...किरण बेदी तथा पवन चौधरी जैसे दो अपने क्षेत्र के दिग्गजों द्वारा प्रस्तुत की गई एक किताब अब बाजार में है जो आम जीवन के कई सारे कायदों से होने वाले फायदों के बारे में ज्ञान देती है।
किताब का मूल अंग्रेजी में 'ब्रूम एंड ग्रूम' के नाम से तथा हिंदी में 'कायदे के फायदे' के नाम से उपलब्ध है। पुस्तक की दो खंडों में बँटी सामग्री आपको जीवन की विभिन्ना परिस्थितियों के दौरान अपनाए जाने वाले शिष्टाचार के बारे में सिखाती है कि कब, कहाँ और कैसे व्यवहार करना चाहिए। पहला भाग तैयारी का यानी ग्रूमिंग का है और दूसरा साफ-सफाई यानी ब्रूमिंग का।
संबोधन के तरीकों से लेकर, उठने-बैठने के सलीकों, बातचीत के लहजों, सार्वजनिक स्थलों तथा निजी अवसरों पर प्रयोग में आने वाले शिष्टाचार आदि के अलावा यह पुस्तक खेलभावना, निजी स्वच्छता तथा सार्वजनिक स्वच्छता आदि से जुड़े कायदे भी सिखाती है। पुस्तक में छोटे-छोटे अध्यायों के जरिए बात कही गई है तथा साथ में कुछ रेखाचित्र भी हैं जो बात को स्पष्ट करते हैं। अध्याय के अंत में शिष्टाचार से संबंधित कुछ जिज्ञासाओं के भी समाधान हैं ताकि वैसी परिस्थिति आने पर आप सही व्यावहार कर सकें।
कुल मिलाकर यह पुस्तक हर वर्ग के पाठकों को नैतिक तथा सामाजिक शिष्टाचार का फायदेमंद सबक सिखाती है। यह निजी जीवन से लेकर सार्वजनिक स्थलों तक पर आपके व्यक्तित्व को सही और सार्थक अंदाज में प्रस्तुतिकरण के मंत्र देती है।
पुस्तक- कायदे के फायदे लेखक- किरन बेदी,पवन चौधरी अनुवाद- मंजरी चतुर्वेदी प्रकाशक- विज्डम विलेज प्रकाशन विभाग, 649, ओ4यू, उद्योग विहार, फेज-5, गुड़गाँव, हरियाणा-122001 मूल्य- 110 रुपए