हकीकत के करीब कहानियाँ

दीपक व्यास
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किसी भी समाज का दर्पण होता है तत्कालीन साहित्य। सत्यनारायण पटेल का कहानी संग्रह 'भेम का भेरू माँगता कुल्हाड़ी ईमान' सामंतवाद के युग में दमित वर्ग के लोगों के शोषण का कच्चा-चिट्ठा खोलने के लिए पर्याप्त है।

लेखक ने कहानियों के संग्रह के रूप में ग्रामीण परिवेश में बँटे चारों वर्गों का जीवन चरित्र व गाँव पर शासन करने वाले पटेलों के कथित निचली जाति के लोगों पर की गई ज्यादतियों की वस्तुस्थिति बताई है कि किस तरह सामंतवादी गरीबों पर अपने हुक्म थोपते हैं।

कहानी संग्रह की पहली कहानी 'पनही' मरे मवेशियों की खाल उतारकर पनही (जूतियाँ) बनाने वाले वर्ग पर गाँव के पटेल के शोषण को परिलक्षित करती है। गाँव के पटेल को पूरण नामक व्यक्ति हर नई डिजाइन की जूतियाँ सबसे पहले देकर आता था। एक दिन अपनी पत्नी के कहने से डरते-डरते उसने पटेल को कह दिया कि जूतियों के बदले में हमेशा जो दाम आप देते हो, वह कम है। इस पर वह पटेल अभद्र भाषा का प्रयोग कर उस पर बिफर गया।

तब पूरण घबराकर उल्टे पाँव घर को लौट आया। डर के मारे उसे बुखार ही आ गया। दुर्भाग्य से उस गाँव में अज्ञात बीमारी से मवेशी मरने लगे। तब पटेल के आदमी ढोर की खाल खींचने के लिए पूरण व उसके जात वालों को बुलाने गए और शीघ्र न आने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे गए।

  लेखक ने कहानियों के संग्रह के रूप में ग्रामीण परिवेश में बँटे चारों वर्गों का जीवन चरित्र व गाँव पर शासन करने वाले पटेलों के कथित निचली जाति के लोगों पर की गई ज्यादतियों की वस्तुस्थिति बताई है....      
डर के कारण बेमन से वह अपने जातवालों को इकट्ठा कर मरे मवेशियों की खाल उतारने के लिए गाँव में पहुँचा लेकिन उनके आते ही पटेल ने उनकी खूब बेइज्जती की। इस पर पूरण के साथी भी दबी जबान से जवाब देने लगे। यह बात पटेल व उसके नई उम्र के लड़कों को रास नहीं आई। उन्होंने पटेल के इशारे पर लात-घूँसों से उनकी खूब पिटाई की।

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पूरण व उसके साथी जान बचाकर जब अपने मोहल्ले में पहुँचे तो उनकी बिरादरी की औरतों ने उन्हें खूब धिक्कारा। एक उम्रदराज महिला ने कहा कि पटेल की जूती पर सिर रखने से तो अच्छा है कि ये सिर कट जाते। इतना सुनकर पूरण का खून उबाल लेने लगा और वह घर से खाल उतारने वाला छुरा निकाल लाया तथा साथियों से बोला, 'देखते क्या हो, तुम भी अपने-अपने छुरों की धार तेज करो।'

इस पुस्तक की अन्य कहानियाँ भी जमीनी हकीकत के काफी करीब हैं। लेखक ने ठेठ गाँव की बोली में प्रचलित शब्दों और सूक्तियों का खूब प्रयोग किया है। इस कारण पढ़ते समय कहानियों के पात्र व परिस्थितियाँ आँखों के सामने सजीव हो उठती हैं। लेकिन आंचलिक बोली के शब्दों वाली यह पुस्तक शायद बोली से अनभिज्ञ पाठकों को उतनी सहजता से समझ में नहीं आ पाएगी।

पुस्तक : भेम का भेरू माँगता कुल्हाड़ी ईमान
लेखक : सत्यनारायण पटेल
मूल्य : 90 रुपए
प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन, सी-56/यूजीएफ-4,
शालीमार गार्डन, एक्सटेंशन-11,
गाजियाबाद-201005