‘इस्मत आपा’ मशहूर और हर दिल अजीज अफसानानिगार इस्मत चुगताई के प्यार और सम्मान का नाम है और यही इस किताब का भी नाम है। पाठक इस किताब को इस्मत चुगताई के अदबी संसार की एक झांकी के रूप में देख सकते हैं। इस पुस्तक में इस्मत के अदबी संसार के बेहतरीन नमूने हैं, अफसाने हैं, और अफसानवी नस्त्र हैं, बकलम खुद है और उन्हीं के लफ्जों में उनका सिनेमाई सफर भी दर्ज है। यानी इस किताब में आप इस्मत के चुनिंदा अफसाने तो पढ़ेंगे ही, यह भी पढ़ेंगे कि खुद इस्मत उन अफसानों को कैसे पढ़ती हैं या अपनी चीज़ों को देखने का उनका नज़रिया क्या है।
किताब के आखिर में इस्मत के चुनिंदा ख़तूत और डायरियां भी हैं जो आपके पढ़ने के लुत्फ को बढ़ाएंगी। यहां इस्मत के अफसाने, फन और किरदार पर मुकम्मल लेख तो हैं ही, इस्मत को याद करते हुए उनकी शख्सियत और मिजाज पर अपने ज़माने की नामचीन आदीबों की यादें और लेख भी पढ़ने को मिलेंगे। ये यादें बहुत करीने से संजोकर रखे गए कतरनों को मिलाकर बनाई गई हैं और यह तमाम लेख बहुत दिल लगाकर लिखे गए हैं। कुछ लेखों को बहुत मेहनत से तजुर्मा करके हिन्दी में पहली बार नई-नवेली बनाकर लाया गया है। इस किताब के बहाने आपके सामने इस्मत के अदबी समय का एक दरीचा खुलता चला जाएगा। हिन्दी
सुकृता पॉल कुमार का जन्म 1949 में नौरोबी (केन्या) में हुआ। सुकृता पॉल कुमार ने लगभग चार दशकों से स्नातक और स्नाकोत्तर कक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम से भारतीय साहित्य, अमेरिकन साहित्य और अनुवाद का अध्ययन किया है। उच्च अध्ययन संस्थान(शिमला) की फैलोशिप के अलावा टोरंटो, कैम्ब्रिज, लंदन, लोवा, कैलिफोर्निया और हांगकांग के विशविद्यालयों में व्याख्यान, प्रतिष्ठित फैलोशिप और सम्मान शामिल हैं। संप्रति दिल्ली विश्व विद्यालय के अरुणा आसफ अली चेयर और विश्वविद्यालय के क्लस्टर इनोवेशन सेंटर में पाठ्यक्रम समन्व्यक। वाणी प्रकाशन ने 55 वर्षों से हिन्दी प्रकाशन के क्षेत्र में कई प्रतिमान स्थापित किए हैं।
अमितेश कुमार
जन्म: 16 जनवरी 1987, सीतामढ़ी (बिहार)।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से हबीब तनवीर के रंगकर्म पर पीएच.डी. करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में ही अध्यापन। रंगमंच पर हिन्दी के पहले ब्लॉग ‘रंगविमर्श’ का संचालन। रंगमंच से सक्रिय जुड़ाव। वाक्, प्रतिमान, कथादेश, पाखी, पक्षधर, बनास जन, जनसत्ता, जनवाणी और देशबन्धु समेत हिन्दी की अनेक स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित