ई-लर्निंग : शिक्षा की उजली राह

जितेन्द्र जायसवाल
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हिन्दी में ई-लर्निंग के बढ़ते साधनों से अब सीखना-सिखाना और भी आसान हो गया है। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर हो या घर, इन नए साधनों से लोग सीखने या अपने कौशल को बेहतर बनाने में मदद ले रहे हैं।‍

माइक्रोसॉफ्ट ने अपने प्रूफिंग टूल्स नाम के पैकेज में हिन्दी शब्दकोश (थिसॉरस) और वर्तनी परीक्षक जैसी सुविधाएँ प्रस्तुत की हैं। थिसॉरस से आप किसी शब्द के समानार्थी और विरुद्धार्थी शब्द सिर्फ एक क्लिक से देख सकते हैं। वर्तनी परीक्षक आपकी हिन्दी में लिखे दस्तावेज या ईमेल की वर्तनी जाँचने में सहयोग करता है। हिन्दी व्याकरण परीक्षण बनाने की दिशा में भी कई कंपनियाँ प्रयास कर रही हैं।

इसी तरह गूगल ने भी हिन्दी में शब्दकोश की सुविधा पेश की है जहाँ आप अपनी कागजी डिक्शनरी को उठाने में लगने वाले समय से कम समय में किसी शब्द का हिन्दी अर्थ पा सकते हैं। गूगल ने ही अंग्रेजी से हिन्दी में मशीनी अनुवाद भी पेश किया है। भले ही यह बहुत अच्छा अनुवाद न करता हो, लेकिन आप अंग्रेजी के किसी पाठ को हिन्दी में कुछ हद तक समझ सकते हैं। माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी कंपनियाँ इस दिशा में कुछ और बेहतर करने की कोशिश में लगी हैं।

विकिपीडिया जैसा ज्ञानकोश भी हिन्दी हो गया है जिसे इंटरनेट पर किसी भी विषय की विस्तृत सूचना प्राप्त करने का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। हिन्दी में 50 हजार से अधिक आलेख आपको दुनिया के सभी प्रमुख विषयों पर विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराते हैं।

कई वेबसाइटें हिन्दी के माध्यम से अंग्रेजी और अन्य भाषाएँ सीखने की सुविधा दे रही हैं। ये न केवल निशुल्क हैं बल्कि इंटरेक्टिव तरीकों से आपकी दिलचस्पी बढ़ती है और सीखना आसान बन जाता है। ई-कक्षा इस दिशा में एक नई अवधारणा है जो तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कम खर्च, अधिक जानकारी, और आसान पहुँच के कारण कई शिक्षण संस्थान और पेशेवर कंपनियाँ इसे अपना रही है। ये सुविधाएँ इंटरनेट और डीटीएच जैसे माध्यमों से प्रस्तुत की जा रही हैं।

ई-पुस्तकालयों का उपयोग करके आप दुनियाभर की अच्छी से अच्छी पुस्तकें पढ़ सकते हैं। इसके लिए न तो आपको कोई शुल्क देना है और न ही आपको पुस्तक खरीदना है। जन-जन तक शिक्षा का प्रकाश फैलाने और धन और समय की बचत करने में ये संसाधन अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।

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