क्या हिन्दी भाषा रोजगार दिलाने में सक्षम है: युवाओं के विचार

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हिन्दी  विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी 'राष्ट्रभाषा' भी है। वह दुनिया भर में हमें सम्मान भी दिलाती है। हिन्दी  दिवस भारत में हर वर्ष '14 सितंबर' को मनाया जाता है।
 
राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। राष्ट्र के गौरव का यह तकाजा है कि उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा हो। कोई भी देश अपनी राष्ट्रीय भावनाओं को अपनी भाषा में ही अच्छी तरह व्यक्त कर सकता है। वहीं हिन्दी अपनी अनगिनत विशेषताओं के साथ रोजगार के वर्तमान प्रतिस्पर्धी मैदान में पहुंचती है। ऐसे में हमने बात कर युवाओं से जाना हिन्दी भाषा रोजगार दिलाने में सक्षम है या नहीं आइए जानते है क्या कहते है युवा..
 
मयंक श्रीवास्तव जो कि पेशे से ग्राफिक डिजाइनर है, वे कहते हैं, कि शायद ही आपको पता होगा, कि विदेशों में 260 से अधिक यूनिवर्सिटी में हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है। जिसमें अमेरिका में 66 और चीन के 20 विश्वविद्यालय शामिल हैं, हमारे देश में सरकारी दफ्तरों में राष्ट्र भाषा हिन्दी आज भी जरूरी है, इसके अलावा डिंफेंस के साथ कई विभागों में हिन्दी अधिकारी की नियुक्तियां की जाती है, विदेशी किताबों के हिन्दी अनुवाद के लिए पब्लिशिंग हाउस में ट्रांसलेटर नियुक्त किए जाते है। कई हिन्दी और अंग्रेजी प्रकाशक भी लेखकों को उनकी किताबों के लिए लाखों कि रॉयल्टी देते हैं। भारत में कई पीआर और विज्ञापन एजेंसी क्रिएटिव राइटिंग के लिए हिन्दी भाषा पर कमांड रखने वाले लोगों को रोजगार देती है। इसके अलावा रोजगार के क्षेत्र में हिन्दी भाषा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रिंट, इलेक्ट्रानिक के अलावा वेब पत्रकारिता के लिए कई मीडिया हाउस कंटेन्ट राइटिंग और रिसर्चर की मांग करते हैं। इसके अलावा विदेश में हिन्दी पत्रकारों की मांग होती है, जिन की हिन्दी और इंग्लिश दोनों ही भाषाओं पर अच्छी पकड़ हो। इस तरह देखा जाए तो हिन्दी भाषा रोजगार दिलाने में सक्षम है।
 
 
सुदर्शन व्यास जो कि पेशे से एक लेखक हैं, वे कहते हैं कि हिन्दी भाषा रोजगार दिलाने में सक्षम है, क्योंकि विश्व में लगभग 500 मिलियन लोग हिन्दी भाषा बोलते हैं। ये एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। वहीं 900 मिलियन लोग ऐसे है, जो हिन्दी भाषा को समझते हैं। हिन्दी रोजगार दिलाने में सक्षम है, क्योंकि जहां इतनी बड़ी तादाद में लोग भाषा को समझ रहे हैं बोल रहें हैं,  तो उस भाषा में रोजगार न मिलें ऐसा नहीं हो सकता। विश्व में ऐसी कई सारी सॉफ्टवेयर कंपनियां हैं, जो हिन्दी भाषा में काम कर रही हैं, हिन्दी भाषा में तकनीकों को लेकर आ रही हैं। वहीं पत्रकारिता में हिन्दी भाषा पर ज्यादा जोर दिया जाता है।  बात करें अगर  प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया की तो इन में हिन्दी भाषा का बोलबाला है। वहीं बात करें किताबों के ट्रांसलेशन कि तो यहां भी रोजगार के अच्छे अवसर मिलते हैं।  आज का युग हिन्दी का युग है और आने वाला युग भी हिन्दी का ही होगा।
 
नेहा सोनी जो पेशे से पत्रकार हैं, वे कहती हैं कि अक्सर युवाओं के जेहन में होता है कि अगर हमारी इंग्लिश अच्छी है तो हमें अच्छी जगह अच्छी जॉब मिलेगी, लेकिन ये बात  एक हद तक ही  सच है।  हर दफ्तर, हर घर,  हर भारतीय कि  जुबान पर हिन्दी ही होती है। इंटरव्यू भले इंग्लिश में हो लेकिन दफ्तर के अंदर बात हिन्दी में ही होती है। इसलिए युवाओं को यह बात समझनी चाहिए, कि हम अपने दिमाग में कितनी भी अंग्रेजी भर लें, लेकिन दिल हमारा हिन्दी ही है और होना भी चाहिए। जो युवा यह सोचते हैं, कि हिन्दी में इंटरव्यू देने से उनकी तौहीन होगी, तो यह सोच उन्हें बदलनी होगी। क्योंकि यही हिन्दी भाषा उन्हें  बुलंदियों पर लें जानें में सक्षम हैं, रोजगार दिलाने में सक्षम हैं, फिर चाहे वो कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो।
 

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