National Hindi Diwas 2023: हिंदी दिवस 14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

Hindi diwas 2023: प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस आजादी के बाद से मनाया जा रहा है...। आज हिंदी का वर्चस्‍व भारत से अधिक विदेशों में बढ़ रहा है। इस दिन को हिंदी प्रेमी भाषी गर्व से मनाते हैं और हिंदी भाषा में बधाइयां देकर इसका अधिकाधिक प्रयोग करते हैं। अमेरिका में हिंदी भाषा के साथ-साथ तमिल और गुजराती यह दो अन्य भाषा अधिक बोली जाती है। 
 
आइए यहां जानते हैं आखिर 14 सितंबर को ही क्‍यों मनाया जाता है हिंदी दिवस... 
 
इसलिए 14 सितंबर को मनाया जाता है हिंदी दिवस : जब अंग्रेजों के चंगुल से भारत देश आजाद हुआ था तो वह अपने कल्चर को भारत में ही छोड़कर चला गया था। तब से अधिकतर सरकारी कार्य अंग्रेजी भाषा में ही किए जा रहे थे, लेकिन वह स्‍वीकार्य नहीं था। 6 दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए एक गठन किया गया था। जिसमें मुख्‍य भूमिका में सच्चिदानंद सिन्‍हा अंतरिम अध्‍यक्ष थे। जिनके बाद राजेंद्र प्रसाद को अध्‍यक्ष चुना गया था। वहीं भीमराव आंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरपर्सन थे।
 
संविधान तैयार करने के दौरान एक सबसे बड़ा मुद्दा उठा संविधान में आधिकारिक भाषा किसे चुना जाएं। गौरतलब है कि भारत बहुआयामी देश है। यहां हर वर्ग, हर धर्म को अपने त्‍योहार और बोली बोलने का अधिकार है.. लेकिन आधिकारिक भाषा को लेकर समस्‍या गहराती गई। गहन विचार-विमर्श के बाद अंग्रेजी के साथ हिंदी को राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषा तय किया गया। 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को अंग्रेजी के साथ राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृति मिली।
 
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे ऐतिहासिक दिन घोषित किया। इसीलिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। गौरतलब है कि 1949 के बाद 1950, 1951 और 1952 में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया था। वहीं 1953 में आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस मनाया गया।
 
हिंदी के विरूद्ध उठी आवाज : जब हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा रहा था, तब मुख्‍य रूप से दक्षिणी राज्‍यों और पूर्वोत्‍तर में हिंदी के विरूद्ध आवाज उठी थी। हालांकि आज भी हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा नहीं मिला है। उत्‍तर भारत और पश्चिमी भाषा में हिंदी बोलचाल की आम भाषा है। लेकिन हिंदी भाषा राजभाषा के दर्जे से वंचित है। आज जहां विदेशों में हिंदी का बोलबाला बढ़ रहा है, वहीं स्‍वदेश में उसकी गरिमा घटती जा रही है। 

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