bhai dooj in hindi :1. भाई दूज पर्व का परिचय : दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है और 5 दिवसीय त्योहार के पांचवे दिन मनाया जाता है, भाई दूज का पर्व। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के बाद, भाईदूज ऐसा दूसरा त्योहार है, जो भाई बहन के अगाध प्रेम को समर्पित है। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है।
2. भाई दूज की मान्यता क्या हैं : भाई दूज को लेकर यह मान्यता प्रचलित है, कि इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से परस्पर तो प्रेम बढ़ता ही है, भाई की उम्र भी लंबी होती है। चूंकि इस दिन यमुना जी ने अपने भाई यमराज से वचन लिया था, उसके अनुसार भाई दूज मनाने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है, और भाई की उम्र व बहन के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कह कर यमपुरी चले गए। ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
4. कैसे मनाते हैं भाई दूज : दीपावली के तीसरे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विवाहिता बहनें भाई बहन अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है और गोबर से भाई दूज परिवार का निर्माण कर, उसका पूजन-अर्चन कर भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। भाई दूज से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
5. भाई दूज पर्व का सार/ उपसंहार : बहन-भाई का प्रेम है सबसे अलग। बहन के प्रति बचपन से ही चिंतित रहने वाले भाई के प्रति प्रेम प्रकट करने का इससे अच्छा अवसर दूसरा नहीं। बहन को चाहिए कि भाई को अपने घर बुलाकर उसे भोजन कराएं तथा लंबी उम्र की कामना के साथ छोटा-सा ही सही, पर उपहार जरूर दें। अत: जितना महत्व रक्षा बंधन को दिया जाता है उतना ही महत्व भाई दूज को भी दिया जाना चाहिए, तभी यह पर्व सार्थक होगा।