Dhanteras festival essay: प्रस्तावना: भारतीय संस्कृति में त्योहारों की एक लंबी और रंगारंग श्रृंखला है, जिसमें दीपावली का पर्व सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दीपावली की शुरुआत जिस प्रथम सोपान से होती है, वह है धनतेरस। 'धनतेरस' नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: 'धन' यानी संपत्ति और 'तेरस' यानी त्रयोदशी तिथि। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला यह पर्व, धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि के देवता को समर्पित है। यह दिन केवल सोने-चांदी की खरीदारी का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और नकारात्मकता को दूर करने का एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है।ALSO READ: Dhanteras 2025: कौन हैं धन्वंतरि जिनकी होती है धनतेरस पर पूजा, जानें भगवान धन्वंतरि का रहस्य
धनतेरस का धार्मिक और पौराणिक महत्व: धनतेरस का पर्व कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं:
1. भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य: सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान विष्णु के अंशावतार धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि जी को आयुर्वेद का जनक और देवताओं का वैद्य माना जाता है। इसीलिए धनतेरस को 'धन्वंतरि जयंती' के रूप में भी मनाया जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का वरदान मिलता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि धन से पहले आरोग्य (स्वास्थ्य) ही सबसे बड़ा धन है।
2. कुबेर की पूजा: इस दिन धन के अधिष्ठाता कुबेर देवता की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि उनकी पूजा से घर में स्थायी धन और समृद्धि का वास होता है। लोग अपने व्यापारिक बहीखातों और तिजोरियों की पूजा करके कुबेर जी को प्रसन्न करते हैं।
3. यम दीपम की परंपरा: धनतेरस की शाम को मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के मुख्य द्वार पर एक बड़ा दीपक जलाया जाता है, जिसे 'यम दीपम' कहते हैं। यह दीपक परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह एक अद्भुत परंपरा है जो हमें जीवन की नश्वरता और मृत्यु के देवता के सम्मान का पाठ पढ़ाती है।
धनतेरस पर खरीदारी का विशेष महत्व: धनतेरस का नाम सुनते ही सबसे पहले खरीदारी का ख्याल आता है। इस दिन नई चीजें खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे घर में तेरह गुना वृद्धि होती है।
• धातु की वस्तुएं: लोग मुख्य रूप से सोना, चांदी या पीतल के बर्तन खरीदते हैं। पीतल को भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु माना जाता है।
• अन्य शुभ वस्तुएं: इसके अलावा, इस दिन नई झाड़ू खरीदना, क्योंकि झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और साबुत धनिया या धनिया के बीज खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
पूजन विधि और उत्सव का स्वरूप: धनतेरस पर पूजा प्रदोष काल (शाम) में की जाती है। घर को साफ-सुथरा कर रंगोली सजाई जाती है। पूजा के दौरान, भगवान गणेश, लक्ष्मी जी, कुबेर जी और धन्वंतरि जी का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है। दीपक जलाए जाते हैं और भोग लगाया जाता है।
यह पर्व वास्तव में दिवाली महापर्व के लिए एक शुभ पूर्वाभ्यास है। यह दिन घर और मन दोनों से दरिद्रता और नकारात्मकता को बाहर निकालकर, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए दरवाजे खोलने का प्रतीक है।
उपसंहार: धनतेरस का पर्व भारतीय जनमानस में धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रति आस्था का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि केवल भौतिक संपत्ति ही धन नहीं है, बल्कि निरोगी काया और एक संतुष्ट मन भी सबसे बड़ा धन है। यह त्योहार हमें सकारात्मकता, परोपकार और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाने की प्रेरणा देता है। धनतेरस 2025 भी हमारे लिए यही संदेश लेकर आएगा कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया।'
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Dhanteras 2025: धनतेरस पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जरूर खरीदें ये 8 चीजें, घर आएगी सुख और समृद्धि