तीसरी लहर आ ही नहीं रही थी...
फिर इन्दौरियों ने बहुत मान मनोव्वल की,
मश्क्कत की,
वो छप्पन की भीड़ में गए,
मालवा उत्सव के मेले में गए,
सराफा में चाट खाने गए,
कुछ मंदिरों की लाईन में लगे,
मास्क को अलमारी में बंद किया,
सोशल डिस्टेंसिंग भूले,
सेनेटाइजर को घर से बाहर किया,
तब जाकर तीसरी लहर को तरस आया...
और वो आ गई इंदौर में...