एक मुट्‍ठी चने

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लल्लू की पंसारी की दुकान में आग लग गई।

कच्चे चने की बोरी के सारे चने भून गए।

गाँव के लोग आते, एक मुट्‍ठी चने फाँक सहानुभूति प्रकट कर चले जाते।

लल्लू जले-भुने बैठे थे कि प्रधान ने आकर मुट्‍ठी भर चने फाँके और बोला- कितने का नुकसान हो गया?

- अभी तो हो ही रहा है ! जवाब मिला।

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