नया वर्ष 2010 विशेषकर हिंदी प्रकाशन जगत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस महीने 30 जनवरी से 'विश्व पुस्तक मेला' नई दिल्ली में आरंभ होने जा रहा है जिसमें बड़ी संख्या में विविध विषयों पर नई पुस्तकें सामने आएँगी। हर दिन नई-नई पुस्तकों के विमोचन एकाधिक प्रकाशकों के यहाँ होंगे। तमाम लेखक भी इस अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिनकी पुस्तकें इस मौके पर सामने आएँगी। हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशकों से चर्चा कर यह जानना चाहा कि किन विषयों पर किन लेखकों की महत्वपूर्ण पुस्तकें उनके यहाँ इस वर्ष सामने आने वाली हैं:
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अरुण माहेश्वरी वाणी प्रकाशन नए वर्ष में नई विधाएँ, नए विषय और नए तेवर की पुस्तकें प्रकाशित कर हम पाठकों के बीच ला रहे हैं। 'हिंद स्वराज' का नया विमर्श और नए दौर के साहित्यिक विमर्श और उसके साथ-साथ मंदी, महामंदी और बाजार का उठाव-चढ़ाव, विश्व के पर्यावरण पर चिंताएँ और इसी के साथ नए तेवरों की शायरी और नई भाषाओं के उपन्यास, कहानी इस मेले में हम लाने जा रहे हैं। इन्हीं के साथ-साथ ग्रंथावलियाँ, इंसाइक्लोपीडिया और शब्दकोश भी पाठकों को समर्पित होंगे। विश्व सिनेमा के ऊपर हम मूल और महत्वपूर्ण पुस्तकें तैयार कर रहे हैं। हमारी इच्छा है कि हम ऐसी पुस्तकें एक साथ मेला में लाएँ।
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अजय कुमार मेधा प्रकाशन विश्व पुस्तक मेले में छह कविता पुस्तकें होंगी। चुनी हुई कविताओं की सीरीज में त्रिलोचन शास्त्री की कविता पुस्तक होगी। कीर्ति चौधरी को याद करते हुए हम उनकी समग्र कविताएँ प्रकाशित कर रहे हैं। लीलाधर मंडलोई की कविता पुस्तक 'महज शरीर नहीं पहन रखा था उसने' भी हम ला रहे हैं। दो कविता-पुस्तकें भोपाल के संतोष चौबे की हैं। 'इस अकवि समय में' और 'कोना धरती का'। एक कविता पुस्तक भोपाल के ही कैलाश पचौरी की होगी।
बैंकिंग पर तीन किताब और हम प्रकाशित कर रहे हैं। एक है 'ग्राहक सेवा', दूसरी 'बैंकिंग विविध आयाम' और तीसरी किताब 'ब्याज मुक्त बैंकिंग' (इस्लामी बैंकिंग) की होगी। बीबीसी से संबद्ध रहे। ओंकारनाथ श्रीवास्तव की कहानियों का संग्रह 'नागपूजा तथा अन्य कहानियाँ' भी हम प्रकाशित कर रहे हैं। अर्चना वर्मा का कहानी संग्रह 'राजपाट तथा अन्य कहानियाँ' प्रेमपाल शर्मा के लेखों की किताब 'विकल्प के सूत्र' तथा महेंद्र फुसकेले की 'प्रकारांतर' है।
यूसूफ नाजिम की व्यंग्य पुस्तक 'आदमी की पसली' और सुरेश कांत की 'अर्द्धसत्य' भी हम प्रकाशित कर रहे हैं। नक्सलवाद के हरेक पहलुओं को समझने के लिए हमने कनक तिवारी की 'बस्तर : लाल क्रांति बनाम ग्रीन हंट' पुस्तक भी प्रकाशित की है। निरंजन क्षोत्रिय की लेखों की पुस्तक 'आगदार तीली भी हम ला रहे हैं। अमेरिका में रह रहे उमेश अग्निहोत्री ने 'आह अमेरिका वाह अमेरिका' नामक किताब लिखी है। जिसमें चुनिंदा अंदाज में बातें कही गई हैं। ऐसी तमाम पुस्तकें हम पुस्तक मेले में ला रहे हैं।
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महेश भारद्वाज सामयिक प्रकाशन नए वर्ष में सामयिक प्रकाशन लगभग 60 नई पुस्तकें एक साथ लाएगा। इसमें उपन्यास, कहानी, पत्रकारिता, आलोचना, स्त्री-विमर्श, प्रशासन, शब्दकोश जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर पुस्तकें हम ला रहे हैं। शब्दकोशों में विज्ञान विषयक दो शब्दकोश 'विद्यार्थी विज्ञान शब्द कोश' और 'सामयिक गणित शब्दकोश' का प्रकाशन कर रहे हैं।
विज्ञान कोश की इस श्रृंखला में आगे जीवन विज्ञान, रसायन विज्ञान, कंप्यूटर साइंस जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर हमारी संस्था द्वारा पुस्तकें प्रकाशित करने की योजना है। पत्रकारिता पर वरिष्ठ पत्रकार अच्चुतानंद मिश्र के संपादन में 'हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र और पत्रिकाएं' ला रहे हैं। समकालीन दौर की तीन चर्चित लेखिकाओं चित्रा मुद्गल, नासिरा शर्मा और मैत्रेयी पुष्पा की आलोचनात्मक किताबों का प्रकाशन भी हम कर रहे हैं।
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गौरीनाथ अंतिका प्रकाशन अंतिका के प्रसिद्ध कथालोचक सुरेंद्र चौधरी की तीन आलोचनात्मक पुस्तकें आई हैं। वीरेन डंगवाल का ताजा कविता संग्रह 'स्याही ताल' और बादल सरकार पर अशोक भौमिक की पुस्तक भी आ चुकी है। 2010 में वरिष्ठ कथाकार स्वयं प्रकाश की दो संस्करणात्मक पुस्तकें आ रही हैं और स्त्री चिंताओं से बाबस्ता एक अनूठी कथा डायरी चंद्रकला त्रिपाठी की 'इस उस मोड़ पर'।
विद्यासागर नौटियाल और हुमायूँ अहमद के उपन्यासों के अलावा विष्णु नागर और लीलाधर मंडलोई के ताजा कविता संग्रह ला रहे हैं। सुभाष चंद्र कुशवाहा, विपिन कुमार शर्मा, मुरारी शर्मा आदि के कहानी संग्रहों के अलावा नाटकों की तीन महत्वपूर्ण किताबें आ रही हैं। पाठकों को ध्यान में रखकर ही लगभग सारी किताबों के पेपरबैक संस्करण भी साथ-साथ लाए जा रहे हैं।
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हरीशचंद्र शर्मा प्रकाशन संस्थान विश्व पुस्तक मेले में हम 'हरिऔध ग्रंथावली' ला रहे हैं। ये सात खंडों में है। जाने-माने पत्रकार हरिवंश और फैसल अनुराग के संपादन में झारखंड-बिहार और क्षेत्रीय पत्रकारिता से संबंधित आठ खंडों में किताबें आएँगी। एकांत श्रीवास्तव का कविता संग्रह 'नाग के सर का देश यह' भी हम ला रहे हैं। इसी क्रम में गुजराती साहित्य की पाँच महत्वपूर्ण किताबों का अनुवाद भी हम ला रहे हैं।
राँची एक्सप्रेस के संपादक बलबीर दत्त की उल्लेखनीय किताब 'सफरनामा पाकिस्तान' भी हम ला रहे हैं। कमलापति पांडे की पुस्तक 'आधी साखी कबीर की' भी आ रही है।
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अशोक माहेश्वरी राजकमल प्रकाशन नए वर्ष में वैसे तो हम अनेक पुस्तकें ला रहे हैं मगर पुस्तक मेले में ही हम विभिन्न विधाओं की कई महत्वपूर्ण किताबें ले आएँगे। पहली जिस किताब का नाम मुझे याद आ रहा है वो है भीष्म साहनी और नामवर सिंह के संपादन में 'आधुनिक हिंदी उपन्यास' दो खंडों में होगी। दूसरी किताब का नाम है 'भगत सिंह को फाँसी' जिसे मनमेंदर सिंह बढ़ैच ने संपादित किया है।
के. के. बिड़ला रचित 'इतिहासकार स्पर्श कोश' भी हम ला रहे हैं। हम स्वर्गीय सुदीप बनर्जी की ताजा कविताओं का संग्रह- 'उसे लौट आना चाहिए' तथा लीलाधर मंडलोई की कविता पुस्तक 'लिखे मैं दुक्ख' भी ला रहे हैं। ममता कालिया का संस्मरण 'कितने शहरों में कितनी बार' भी ला रहे हैं। वेद प्रताप वैदिक की 'भाजपाः हिंदुत्व और मुसलमान' भी आ रही है। इसके अलावा और भी उल्लेखनीय किताब हम पाठकों को उपलब्ध कराएँगे। जिसमें विष्णु नागर का व्यंग्य संग्रह 'भारत एक बाजार' भी है।
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सत्यव्रत शर्मा किताबघर प्रकाशन विश्व पुस्तक मेले के लिए किताबों का प्रकाशन अपनी अंतिम प्रक्रिया में है। इस बार 40 पुस्तकें हम विभिन्न विधाओं में ला रहे हैं। इसमें मौलिक किताबों के अतिरिक्त संपादित किताबें भी होंगी। संपादन वाली जो किताबें होंगी उसमें से एक 'शताब्दी की कालजयी कहानियाँ' चार खंडों में होगी। इसका संपादन कमलेश्वर ने किया था। एक किताब शंकर शेष समग्र के नाटक की होगी, जिसका संपादन हेमंत कुकरेती ने किया है।
गोविंद मिश्र का यात्रा वृतांत 'रंगों की गंध' जो दो खंडों में है। एक किताब 'अंतरंग साक्षात्कारों' की होगी। इसमें भवानी प्रसाद मिश्र और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना से कृष्णदत्त पालिवाल की बातचीत होगी। दो व्यंग्य संग्रहों की किताबें भी हम विश्व पुस्तक मेले में पाठकों को देंगे। इसमें पहली किताब विष्णु नागर की 'गरमागरम' और दूसरी नरेन्द्र कोहली की 'आत्मरक्षा का अधिकार' है। एक पुस्तक 'भारतीय संत परंपरा' जो बलदेव वंशी द्वारा रचित है उसको भी हम लेकर आ रहे हैं।
असगर वजाहत की कहानियों का संग्रह भी हम ला रहे हैं। प्रणव कुमार बंद्योपाध्याय का उपन्यास 'अमर द्वीप' भी आएगा। राजेंद्र यादव से युवा लेखकों की बातचीत की भी किताब हम ला रहे हैं। जिसका नाम है 'यातना संघर्ष और स्वप्न'। एक किताब ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय मूल के कवियों की होगी, जिसका नाम है 'बुमरैंग'। वरिष्ठ आलोचक परमानंद श्रीवास्तव की एक आलोचना पुस्तक 'उस समय में साहित्य' भी हम ला रहे हैं।
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रवींद्र कालिया भारतीय ज्ञानपीठ वर्ष 2010 को भी 2009 की तरह भारतीय ज्ञानपीठ 'उपन्यास वर्ष' के रूप में ही मनाएगा। इस क्रम में भारतीय ज्ञानपीठ कई महत्वपूर्ण उपन्यासों का प्रकाशन करेगा। मधुकर सिंह का उपन्यास 'बेनी माधा तिवारी की पतोह' का जो ग्रामीण यथार्थ को बदलते हुए संदर्भ में दिखाता है का प्रकाशन करने जा रहा है। रवींद्र कालिया का '१७ रानडे रोड' भी प्रकाशित होगा इस उपन्यास के माध्यम से उपन्यासकार ने मुंबई की ग्लैमर वर्ल्ड को चित्रित किया है।
विभूति नारायण राय का उपन्यास 'प्रेम की भूतकथा' भी पाठकों के हाथों होगा। चंद्रकिशोर जायसवाल का 'सात फेरे' भी हम पाठकों को सौपेंगे। यह उपन्यास एक तिहाजू की कथा कहता है जो चौथी शादी करना चाहता है। इसके अलावा और भी कई उल्लेखनीय उपन्यास पाठकों को हम देंगे।