जमशेदपुर में आयोजित अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 27वें अधिवेशन ( स्वर्ण जयंती वर्ष ) में सुप्रसिद्ध लेखक, संपादक, टीवी प्रस्तोता, रंगकर्मी, फिल्म गीतकार व भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक को संस्था की नई कार्यकारिणी में 'कला मंत्री' नियुक्त किया गया। आज से पच्चीस वर्ष पहले मनोज भावुक इस संस्था के प्रबंध मंत्री रह चुके हैं।
जगजाहिर है कि अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन भोजपुरी की एकमात्र ऐसी गौरवशाली संस्था है जिसका नेतृत्व डॉ. उदय नारायण तिवारी, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य देवेन्द्र नाथ शर्मा, डॉ. विवेकी राय, पाण्डेय कपिल, डॉ. प्रभुनाथ सिंह, डॉ. रिपुसूदन श्रीवास्तव एवं डॉ. हरेराम त्रिपाठी चेतन सरीखे विद्वानों ने किया है।
मनोज भावुक साहित्य, सिनेमा, रंगमंच, कला, सम्मेलन, समारोह और देश-विदेश में भोजपुरी के प्रचार-प्रसार के एक्सपर्ट माने जाते हैं। मनोज ने अफ्रीका और यूरोप में भोजपुरी की संस्था कायम की, प्रचार-प्रसार किया। भोजपुरी के साथ-साथ हिंदी-अंग्रेजी के अखबारों में भोजपुरी कला-संस्कृति और उसकी गौरवशाली परंपरा के बारे में अनवरत लिखते रहे। एक दशक तक भोजपुरी रंगमंच पर जमे रहे। भोजपुरी नाटकों पर शोध-पत्र लिखा। भोजपुरी सिनेमा का इतिहास लिखा।
कई फिल्मों व धारावाहिकों की पटकथा लिखी, उसमें अभिनय किया। सारेगामापा जैसे लोकप्रिय रियालिटी शो के प्रोजेक्ट हेड रहे। कई टीवी चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम किया और सैकड़ों कार्यक्रम बनाये। कला और साहित्य की सनक की वजह से लंदन में अपने जमे-जमाये इंजीनियरिंग के करियर को अलविदा कह दिया और भोजपुरी के सर्वांगिण विकास में लग गए। मनोज विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली व इंग्लैंड इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
वर्तमान में भोजपुरी जंक्शन पत्रिका के संपादक, अचीवर्स जंक्शन के निदेशक और नामवर सिंह द्वारा स्थापित नारायणी साहित्य अकादमी के महासचिव हैं। भोजपुरी में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारतीय भाषा परिषद, भाऊराव देवरस सेवा संस्थान व विश्व की अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं समेत फिल्मफेयर और फेमिना जैसी संस्थाओं ने मनोज को सम्मानित किया। साहित्य, सिनेमा और कला के संगम मनोज भावुक के कला मंत्री बनने पर सिनेमा और साहित्य जगत की तमाम हस्तियों ने उन्हें बधाई दी।