रोम, ग्रीस की सभ्यताएं भी जब अस्तित्व में नहीं थी, यूरोपियन के पूर्वज जब जर्मनी के घने जंगलों में छिपे रहते थे तब भी भारतवासी कितने क्रियाशील थे इस बात का प्रमाण हमारा इतिहास हमें देता है, जिसका विचार करने पर स्वतः ही मन में स्फूर्ति और स्वयं को हम गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं। ऐसे में एकाएक राष्ट्रप्रेम में लीन होकर यदि हम भारत माता की जय का उदघोष कर दें तो ये कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी।