इंदौर साहित्य उत्सव में सोनल मानसिंह ने सजाए संस्कृति के रंग
इंदौर साहित्य उत्सव में पद्मभूषण से अलंकृत सोनल मानसिंह ने संस्कृति, धर्म, दर्शन, अध्यात्म और भारतीय नृत्य परम्परा पर सुंदर संवाद किया।
सत्र के आरम्भ में सोनल जी से सवाल किया गया कि, ''आज आपकी तरह दूसरी सोनल मानसिंह जन्म क्यों नहीं लेती जबकि इतनी सुविधा और संसाधन बच्चों के पास उपलब्ध है? सोनल मानसिंह ने ने जवाब दिया कि जिस समय में मैंने जन्म लिया है उस समय सोशल मीडिया जैसी चीजें नहीं थी ध्यान भटकाने के लिए। हमें ही यह तय करना है कि मुझे यह काम करना ही है जब तक आग की यह लपट आपके भीतर नहीं होगी आप मुकाम हासिल नहीं कर पाएंगे। हमें खुद से पूछना होगा कि आप हैं कौन करोडों लोगों में। सोनल मानसिंह ने कहा कि हमें संस्कृति के साथ भाषा की मर्यादा का भी ध्यान रखना चाहिये। उनसे जब सुचित्रा हरमलकर ने सवाल किया कि ऐसा क्या है जो अभी तक सोनल जी के लिए अप्राप्य है तब उन्होंने तपाक से कहा मेरी मंशा है कि हमारी संसद में भारतीय संस्कृति का ओरिएंटेशन कोर्स हो।