जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2016 : बेदम चर्चा, फीका माहौल

डिग्गी पैलेस में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज 
 
 
जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आरंभ तो हर बार की तरह रंगारंग हुआ। शास्त्रीय गायन, लोकनृत्य और झिलमिलाती हस्तशिल्प की सजावट के साथ, लेकिन वह चमक और महक फिर गायब रही जो इस महोत्सव की पहचान होती रही है। डिग्गी पैलेस में आयोजित यह उत्सव ठंड, बादल और सूर्य की मिली-जुली जुगलबंदी के साथ शुरू हुआ। भीड़ भी खूब रही पर वास्तविक और नियमित उत्सव प्रेमियों के लिए यह निराशा भरा रहा। 

कुछ बड़े नाम हमेशा आकर्षण का विषय बनते हैं और एन वक्त पर नदारद रहते हैं। कनाडाई कवि और उपन्यासकार मारग्रेट अटवुड, लोकप्रिय लेखक रस्किन बांड, अमेरिकी फोटोग्राफर स्टीव मैककरी, हार्वर्ड के इतिहासकार नियाल फर्ग्युसन और ब्रिटेन के स्टीफन फ्राइ जैसे दिग्गज नाम इस बार शामिल हुए लेकिन कमजोर एंकरिंग ने उन्हें मंच से प्रशंसकों तक उस रूप में नहीं पंहुचने दिया जिसका वे सपना लेकर आए थे।  

20 से 25 जनवरी 2016 तक चलने वाला यह उत्सव व्यवस्था के मामले में मात खाता रहा है और विवाद से इस उत्सव का नाता पुराना है। लेखक और बड़ी हस्तियों के बीच असहिष्णुता का मुद्दा गर्माया और फिल्म निर्देशक करन जौहर जब भी मुंह खोलते हैं कुछ ना कुछ अजीब जरूर बोलते हैं। लिटरेचर फेस्टिवल में उन्होंने कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मजाक है और लोकतंत्र उससे भी बड़ा मजाक है। अवॉर्ड लौटाने वाले साहित्यकारों में प्रमुख उदय प्रकाश जाहिर है अवॉर्ड वापसी के पक्ष में खड़े दिखे। 

युवाओं के बीच रस्किन बॉन्ड का जादू बरकरार है। असहिष्णुता पर उनका कहना है कि - "अवॉर्ड्स कोई बेजान चीज नहीं, यह लोगों का प्यार है। इसे लौटाना या ठुकराना ठीक नहीं है। जैसे इन्टॉलरेंस, इन्टॉलरेंस को जन्म देता है, वैसे ही टॉलरेंस से टॉलरेंस फैलता है। जब आप और मैं तय कर लेंगे कि हमें टॉलरेंट बनना है तो दुनिया बदल जाएगी। लेखक शब्दों से दूरियां पाटने की ताकत रखते हैं, उनमें सहनशक्ति विशेष जरूरी है।''
 
फेस्टिवल में अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश और नंद भारद्वाज जैसे लेखक नजर आते रहे जो साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं।
 
कुछ सत्रों को छोड़ दें तो अभी तक के अधिकांश सत्र नीरस और बेदम नजर आए। कहीं अच्छे वक्ता को अंतिम क्रम में रखा गया तो दर्शकों ने हॉल से बाहर आने में ही बेहतरी समझी। कमजोर प्रस्तोता ना खुद तैयारी में दिखे ना उनमें वक्ता से कुछ विशेष कहलवाने की काबिलियत नजर आई। फेस्टिवल में हर बार की तरह हर चीज महंगी है और इतनी महंगी कि चाय से ज्यादा अच्छी जयपुरी ठंड लगी।  



 
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पाकिस्तान से आए मुनव्वर लघेरी ने कहा, पाकिस्तान सिंध के लोगों के साथ जुल्म कर रहा है। पाकिस्तान सभी को मुसलमान बनाना चाहता है। इसलिए उन्होंने दो महीने पहले मेरे भाई की भी हत्या कर दी। यह जुल्म कब तक सहेंगे। मुनव्वर ने कहा, पाकिस्तान सिर्फ भारत से डरता है। दुनिया के बड़े देशों के लिए तो वह हथियार के रूप में काम आता है, इसलिए उनसे डरने का प्रश्न ही नहीं। अब मोदी उसे इसी डर के आधार पर तोड़ सकते हैं। हम पीएम मोदी से बात करना चाहते हैं।

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