दरवाजों से हटी ये सांकलें, अब सम्बंधों के बीच पड़ी है...

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018 (19:33 IST)
राजस्थान और मप्र के रचनाकारों ने किया रचना पाठ
कलमकार मंच के आयोजन में श्रोता डूबे साहित्य के रंग में
 
अपने खनकदार संगीत से, वादक की पहचान कराती वह साँकले, अब नहीं हैं। दरवाजों से हटी ये सांकलें, अब सम्बंधों के बीच पड़ी है... इस तरह के सरल बिम्बों से अपने समय और समाज की विडम्बनाओं को सामने लाती बेहतरीन रचनाओं ने 'साहित्य कुंभ' आयोजन में श्रोताओं की खूब दाद बटोरी। इसमें राजस्थान और मध्यप्रदेश के साहित्यकारों ने बेहतरीन रचनाओं का पाठ किया।
 
 
कलमकार मंच की साहित्य सृजकों को मंच और सम्मान देने की कड़ी में देशभर में घूम रही 'साहित्य यात्रा' अंतर्गत देवास में साहित्यकार विक्रम सिंह गोहिल की अध्यक्षता में साहित्य कुंभ का आयोजन हुआ. उन्होंने वरिष्ठ कवि विष्णु खरे की स्मृति में आयोजित इस पहल का स्वागत किया। राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए नए रचनाकारों को सम्मानित करने तथा रचनाओं के बेहतर प्रकाशन की विस्तार से जानकारी दी। प्रमोद त्रिवेदी पुष्प ने कहा कि इससे देशभर में नए लेखक सामने आएंगे और उनमें अच्छे साहित्य की समझ विकसित हो सकेगी।

 
राजस्थान से आए वरिष्ठ कथाकार उमा, भागचंद गुर्जर, रमेश शर्मा, शैलेश सोनी, ज्योत्सना सक्सेना, संगीता व्यास, सुनीता बिश्नोलिया, शकुन्तला शर्मा, अभिषेक शर्मा,भोपाल से सुदर्शन व्यास, सागर से ज्योति विश्वकर्मा, उज्जैन से डॉ क्षमा सिसोदिया और संजय सिंह बैस, धार से प्रमोद त्रिवेदी पुष्प व गोविन्द सेन सहित इंदौर से कविता वर्मा, रश्मि मालवीय, सुषमा व्यास, मीना गौड़, अनिरुद्ध जोशी ने रचना पाठ किया।
 
 
देवास से बहादुर पटेल, मनीष वैद्य, संदीप नाईक, ओम वर्मा, मनीष शर्मा, ज्योति देशमुख, अमेय कान्त, श्रीकांत तैलंग,अंजू मोटवानी, मीनाक्षी दुबे, कविता नागर, रश्मि शर्मा, बिंदु तिवारी, ओशिन शर्मा, निहारिका देशमुख, नित्या नंदिनी तथा जयप्रकाश चौहान ने भी उम्दा रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर प्रकाश कान्त, सुनील चतुर्वेदी, सत्यनारायण पटेल, विजय परसाई तथा पवन नागर सहित बड़ी संख्या में सुधी श्रोता उपस्थित थे। संचालन मनीष वैद्य तथा मनीष शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन दिनेश पटेल ने किया।
 

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