जो कल्चर लोगों के बीच से न जन्मा हो, उनकी दैनिक दिनचर्या, उनके उत्साह और उमंग को व्यक्त न करता हो, जो उन्हें महज एक ग्राहक की दृष्टि से देखता हो, वो कल्चर भला लोगों का अपना कल्चर कैसे हो सकता है ? अब सवाल यह उठता है कि - जो कल्चर हम में से किसी का नहीं, वो आया कहां से, उसे लाया कौन, उस कल्चर को लाने के पीछे किसकी क्या मंशा है और क्यों देखते ही देखते वो कल्चर आज पूरी दुनिया पर छा गया ?