उन्हें यह देखकर बहुत कष्ट होता था कि उसे दो समय की रोटी भी नसीब नहीं होती। बरसात, तूफान, कड़ी धूप और ठंड से वह अपनी रक्षा नहीं कर पाती।
सुभाष के घर से उसके कॉलेज की दूरी 3 किलोमीटर थी। जो पैसे उन्हें खर्च के लिए मिलते थे उनमें उनका बस का किराया भी शामिल था। उस बुढ़िया की मदद हो सके, इसीलिए वह पैदल कॉलेज जाने लगे और किराए के बचे हुए पैसे वह बुढ़िया को देने लगे।