* चारों ओर बस प्रेम ही प्रेम है। प्यार फैलाव है, तो स्वार्थ सिकुड़न है। अत: दुनिया का बस एक ही नियम होना चाहिए, प्रेम... प्रेम... प्रेम...! जो प्रेम करता है, प्रेम से रहता है, वही सही मायने में जीता है। जो स्वार्थ में जीता है, वो मर रहा है इसलिए प्यार पाने के लिए प्यार करो, क्योंकि यही जिंदगी का नियम है।