इस दौरान उन्होंने रायपुर, अंबिकापुर, संबलपुर, नागपुर, देहरादून, चेन्नई व अहमदाबाद केंद्रों में अपनी सेवाएं दीं। इतना ही नहीं, उनके उपन्यास काला पादरी, डायरी सागा सागा, सीढ़ियों पर चीता इत्यादि भी बहुचर्चित हुए।
तेजिंदर अपने गृहनगर रायपुर में ही दूरदर्शन से सेवानिवृत्त हुए और उसके बाद से प्रदेश के सांस्कृतिक जगत में लगातार सक्रिय रहे। वे छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य भी थे। बता दें कि उनके परिवार में उनके अलावा पत्नी दलजीत कौर और उनकी बेटी समीरा हैं, जो पेशे से पत्रकार हैं। इसके अलावा उनकी बहन डॉ. रूपिंदर दीवान रायपुर विज्ञान महाविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
उनके निधन पर मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल', राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रीति सुराना सहित राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय कोचर, राष्ट्रीय सचिव कैलाश बिहारी सिंघल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष समकित सुराना, कार्यकारिणी सदस्य कीर्ति वर्मा, बृजेश शर्मा विफल, पिंकी परुथी 'अनामिका', शिखा जैन, अदिति रुसिया, रोहित त्रिवेदी, मृदुल जोशी के साथ मप्र के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश कमल, राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष रिखबचंद रांका, कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष नसरीन अली 'निधि', मध्यप्रदेश प्रदेश सचिव नीना जोशी समेत तमाम सदस्यों ने गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।