युद्धबंदियों पर जर्मन व फ्रांसीसी दूरदर्शन के लिए बनी फ़िल्म में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, साथ ही साथ स्वतंत्र पत्रकारिता में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके प्रकाशित उपन्यासों में बहिश्ते जहरा, शाल्मली, ठीकरे की मगनी, जिंदा मुहावरे, अक्षयवट, कुइयांजान, जीरो रोड, पारिजात, काग़ज की नाव, अजनबी जजीरा, शब्द पखेरू, दूसरी जन्नत आदि हैं।