तुम भटक रहे हो खाना-बदोश नीले आकाश के तले मैं तुम्हारे लिए बनाऊंगा एक सुरक्षित घर स्थायी...
तुम प्यासे हो मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगा तुम भूखे हो मैं तुम्हारी भूख मिटाऊंगा
तुम दहक रहे हो दुनियावी दुखों में मैं तुम्हें शीतलता दूंगा अपने आँचल की..
तुम ठिठुर रहे हो मैं तुम्हें गरमाऊंगा खुद खाक होकर भी तुम्हें जिन्दगी दूंगा
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तुम्हारी हर इच्छा को तृप्त करूंगा तुम थके हुए हो जीवन एक अवकाशरहित क्षण मैं तुम्हें थपकियां दे-देकर झुलाऊंगा लोरिया, गा-गाकर सुनाऊंगा दूंगा एक निश्चिंत नींद भरपूर जागरण ताजगी भरा...