यही खूबसूरत लम्हा रहा होगा

NDND
वह लड़की

दुनिया की निगाहों से

छुपाकर...गुपचुप

मोहब्बत के कसीदे

काढ़ती है और अगले पल

घबराकर उन्हें उधेड़ भी देती है

इसी कश्मकश में सारी रात

मधुमालती की झुरमुट में

हथेलियों पर गाल टिकाये

सफेद से गुलाबी होती पंखुरियों को

देखने में गुजार देती है।

हवाओं में बौराती नर्गिसी गंध

तारों जड़े आसमान में

डोलता जर्द चाँद

और नीले समुंदर को

जिस लम्हे ने बाँधा होगा शब्दों में

यकीनन यह वही खूबसूरत लम्हा रहा होगा

जो उस लड़की के होठों पर कविता बन मचला होगा

धड़कनों में पहली किलकारी बन गूँजा होगा

यह वही रेशमी लम्हा रहा होगा

जब कँपकँपाती उँगली ने... हौले से

ढलका दी होगी

मुद्दत से ठिठकी

ओस की बूँद और अधखिला गुलाब

पंखुरी-पंखुरी हो गया होगा

यकीनन उस लड़की की

नि:शब्द प्रेम कहानी में

यही खूबसूरत लम्हा रहा होगा।

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