भारत का आध्यात्मिक जीवन संवरा
वेद, उपनिषद, पुराणों से।
हिमालयी तपस्या-स्थलों से,
नानक, रामकृष्ण, नरेन्द्र से,
तुलसी, सूर, कबीर से ।।
बौद्ध, जैन, सनातन जीवन-धारा,
धन के अर्जक सब अच्छे खासे ।।
धर्मग्रंथ हो गये लुप्त सब,
डेरा / मठाधीशों ने नये शगूफे तराशे।
छुप गये धर्म- संस्कृति अंधियारी गली में,
आध्यत्मिकता कहीं सिसक रही है ।।
बाबाओं / घोटालेबाजों / धंधेबाजों की तिकड़ियाँ ,
डेरों / मठों में छाई हर कहीं है।
मत आना प्रभु ! अवतार धर भूल कर भी,
आपके लिये अब कोई जगह नहीं है ।।3।।