हिन्दी कविता : बचपन बचा लो मां

सविता व्यास
दीदी को जो वक्त देती हो
वो वक्त मुझे भी दो न मां
जो हिदायत उन्हें देती हो
वो मुझे भी दो न मां
 
क्या अच्छा है, क्या बुरा
मुझे भी समझाओ न मां
अच्छे और बुरे स्पर्श का अंतर
मुझे भी बतलाओ न मां
 
मुझसे केवल यह न पूछो कि
खाना ठीक से खाया या नहीं
सारे विषयों में एक्सिलेंट मिला या नहीं
मुझसे किसने कैसी हरकत की
 
ये बात भी तो पूछो न मां
आत्मरक्षा के गुर मुझे भी सीखा दो न मां
गलत बात की शिकायत करूं
ये साहस भी मुझको दे दो न मां
 
अपने दोस्त की हालत देख
बहुत सहम गया हूं मां
इन घृणित दरिंदों के पंजों से
हमारा बचपन बचा लो मां....

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